दैनिक जागरण में प्रकाशित
ग्रामीण इलाकों की महिलाएं जागरूक हो रही हैं। ओर अपने अधिकारों को समझ रही हैं।, इस्तेमाल भी कर रही हैं। उनके इस बदलाव का असर गांव-गांव में दिखने लगा है। अपने अधिकार को लेकर जागरूक होने की वजह से महिलाएं समाज की मुख्य धारा में बढ़ चढ़ हिस्सा ले रही है। यही वजह है कि ग्रामीण इलकों में महिलाओं ने समूह गठित कर अपना कार्य शुरू किया है। समूह जुड़ी महिलाओं ने जहां समाज में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहीं है। वहीं अपने परिवार को भी आर्थिक रूप से समृद्ध करने में जुटी हुई है। ऐसी ही एक महिला कुंती देवी समूह से जड़कर पूरे जिले में पहचान बनाने में कामयाब हुई । अब बह महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन चुकी है।
नारी सशक्तीकरण की दिशा में कुंती के कार्य की चारों ओर सराहना हो रही है। उन्होंने मेहनत और लगन के बल पर सूरज संकुल स्तरीय संघ के माध्यम से 11,112 महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गईं। उनकी प्रेरणा से प्रखंड के पंचायतों की करीब दस हजार निरक्षर महिला अब साक्षर हुई हैं। उनकी के पहल के कारण नौ हजार से अधिक महिलाएं पशुपालन, 729 महिला किराना दूकान, 5498 महिला कृषि कार्य से जुड़कर आत्मनिर्भर हो रही है।
आज उनके देख रेख में खेती की नयी तकनीक से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है। वहीं प्रखंड की अलग – अलग जाती की महिलाओं ने सब्जी की खेती कर आर्थिक रूप से सबल हो रही है। इसके साथ ही उनके देख रेख में मलबरी योजना के तहत रानीपट्टी और बेलारी पंचायत में मलबरी की खेती की जा रही है। महिला किसानों के लिए स्थापित किया कृषि यंत्र बैंक । महिला किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए दो कृषि बैंक और किसान प्रशिक्ष केंद्र की स्थापना करवाई है। कृषि यंत्र बैंक में लाखों रुपये के यंत्र किसानों को भाड़े पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इस वजह से किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती करने में काफी आसानी हो रही है।
जीविका के तहत घर-घर घूम कर कमजोर महिलाओं से मिलकर समूह का गठन किया। ग्राम संगठन बनाकर उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाई। जो महिला जिस छेत्र में रूचि रखती थी उसे उसी प्रकार का काम सौंपकर वृहद समूह तैयार कर लिया। सूरज संकुल स्तरीय संघ के तहत 65 ग्राम संघठन हैं। इसमें कुल-926 समूह है। इसके तहत कुल 11,112 महिलाएं विभिन्न रोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो रही हैं।