दैनिक जागरण के अनुसार
कोरोना के दुष्प्रभाव ने एक ओर जहां लोगों के समक्ष रोजगार से लेकर स्वास्थ्य, पोषण एवं बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं, वहीं दूसरी ओर जीविका की 28 हजार 55 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 3 लाख 25 हजार दीदियां प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपनों को एक सफल उड़ान देने के लिए सशक्त कदम बढ़ा रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार निर्धन व बेसहारा महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए जीविका के माध्यम से सतत जीविकोपार्जन योजना चलाई जा रही है। इसके तहत जीविका दीदियां ऐसे निर्धन, बेसहारा महिलाओं की खोज कर उन्हें समूह से जोड़ेंगी। साथ ही समूह के माध्यम से उन्हें स्वरोजगार के गुर भी सिखाए जाएंगे। जीविका के परियोजना प्रबंधक राकेश कुमार नीरज ने बताया कि आगामी तिमाही में विभिन्न बैंकों के सानिध्य में महिला स्वयं सहायता समूहों का वित्त संपोषण कराकर हजारों की संख्या में दीदियों को स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जाएगा।
एक ओर जहां वैश्विक महामारी के प्रसार को कम करने को लेकर घोषित लॉकडाउन में लोगों के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था, वहीं जीविका के स्वयं सहायता समूह की दीदियों द्वारा बैंक सखी के माध्यम से बैंकिग सुविधा को घर-घर तक पहुंचाया गया। इस दौरान करीब पांच करोड़ की राशि की लेनदेन की गई।
जिले के करीब 26 हजार किसान दीदियों को तकनीकी एवं वैज्ञानिक तरीके से खेती के गुर सिखाए गए। विभिन्न तकनीकी विधि जैसे श्रीविधि, अंतर्वती फसलें, नकदी फसल एवं पारिवारिक पोषणता के साथ 15 हजार दीदियों द्वारा रसोई वाटिका लगाने का कार्य किया गया। तथा वर्तमान वित्तीय वर्ष में 20 हजार किसान दीदियों को जैविक सब्जी जैसे प्रगतिशील कार्य से जोड़कर उनको स्वावलंबी बनाया जाएगा।