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जानकारी के अनुसार, तीन बच्चों की मां राधा देवी गृहिणी थी। पति कुंदन ठाकुर की कमाई पर ही पूरा परिवार चलता था। उनके पति बुलडाना में पेपर मिल में काम करते थे। राधा गांव में रहकर अपनी सास और बच्चों की देखभाल करती थी। वर्ष 2017 में राधा देवी के पति की मौत हो गई। इसके बाद तो घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया तो उसने सिलाई- कटाई कर खुद आत्मनिर्भर बनीं आज दूसरी महिलाओं को भी प्रेरणा भी दे रही है।
उनके दो बेटी और एक बेटा समेत परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेवारी आ गई। उन्होने ने बताया कि जिस समय पति की मौत हुई बडी बेटी अंजली आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। उसकी पढ़ाई छूट गई। बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया। ऐसे में कुछ दिनों तक बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, उससे 1500 की आमदनी होती थी। इतने कम पैसे में परिवार चलाना बड़ा ही मुश्किल हो रहा था। इसी बीच किसी ने उसे जीविका से जुड़ने की सलाह दी।
वर्ष 2018 में वह जीविका से जुड़कर घर में रहकर सिलाई करना शुरू कर दिया। पहले तो उसे गांव के लोग कपड़े सिलाई के लिए नहीं देते थे, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद दिनभर गांव की महिलाओं से संपर्क करने लगी और रात को कपड़े की सिलाई करती थी। इस तरह उनका व्यवसाय चल निकला। कुछ ही महीनों में घर की आर्थिक स्थिति संभलने लगी जिसके बाद सबसे पहले अपने बच्चों को स्कूलों में फिर से दाखिला दिलाया और आज बड़ी बेटी मैट्रिक में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्णता हासिल की है। वो कहती है कि पति की मौत के बाद वह टूट-सी गई थी लेकिन बच्चों और बूढ़ी सास की परवरिश के लिए वह खुद आत्मनिर्भर बनी।