अमर उजाला में प्रकाशित
आपकी सफलता आपके नजरिये पर निर्भर करती है। मुश्किलों को खुद पर हावी होने के बजाय, जब हम डट कर खड़े हो जाते हैं तो रास्ते खुद नजर आने लगते हैं। कोरोना काल ने जहां हमें डराया, कभी सेहत के लिए तो कभी रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया। ऐसे वक्त में राजधानी के कुछ युवाओं ने घर बैठे नए तरीकों पर काम शुरू किया।
खास बात है कि जो संसाधन मौजूद थे, उनका इस्तेमाल किया। न केवल खुद आत्मनिर्भर बने, बल्कि औरों के लिए भी नौकरी की राह खोली और मिसाल बन गए। ये बताते हैं कि बिजनेस शुरू करने के लिए हमेशा भारी निवेश की ही नहीं होती। यदि आपके पास पूंजी है तो उसका इस्तेमाल सही मौके पर सही तरीके से कैसे करें, यह अहम है। आइए जानें शहर के कुछ ऐसे ही युवाओं की सफलता की कहानी।
राधिका हलवासिया बताती हैं कि पहले से ही क्लाउड किचन होम स्वीट होम चला रही थीं। घर से ही काम करती थीं। लॉकडाउन के दौरान एक दिन खाने की टेबल पर बैठे-बैठ चर्चा हुई। हमने अपने गंज स्थिति पुश्तैनी मकान का इस्तेमाल किया। चूंकि लॉकडाउन में लोगों का फोकस सेहतमंद खाने पर रहा, ज्यादा वक्त लोगों का किचन में बीता और इससे रिश्ते और गहरे हुए। बस इसी ट्रेंड को हमने अपने फूड बिजनेस का हिस्सा बना लिया। इसमें पति ध्रुव हलवासिया का पूरा सहयोग मिला, मैंने किचन तो उन्होंने बाकी काम संभाल लिए। कुछ उत्पाद घर के फार्म हाउस और कुछ सीधे किसानों से लेकर हम स्वास्थ्यवर्धक खाना तैयार करवा रहे हैं।
मास्टर शेफ इंडिया सीजन 6 के शीर्ष 8 प्रतिभागियों में शामिल नंदिनी दिवाकर कहती हैं कि लॉकडाउन में सब बंद था, जारी था तो खाना और वह भी इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर। बहुत समय तक खाली बैठे रहे। घर की रसोई में काम करते वक्त खयाल आया कि क्यों न लोगों को यहीं से खाना सप्लाई करें। मेरा एक दोस्त है शुभांतिक गुप्ता, उसे भी खाना बनाने और खाने का शौक है। उससे चर्चा की, वह भी नेटवर्क बनाने और मदद करने के लिए राजी हो गया। बस घर के किचन से ही हमने नमस्ते लखनऊ स्टार्ट अप शुरू किया। लोगों तक होम मेड चॉकलेट, फ्लेवर नट्स, तरह-तरह के नमकीन, तरह-तरह केफ्लेवर में मेवे, शुगर फ्री खजूर की बर्फी, अंजीर और नारियल के लड्डू की डिलीवरी शुरू कर दी।
भव्या शाह ने अभी 12वीं पास की है। लॉकडाउन में घर पर बोर हो गईं। आगे कॅरिअर की चिंता थी। खाली वक्त में मैंने होम बेकर के रूप में खुद को अपने परिचितों के सामने रखा। घर, दोस्तों से शुरू किया बिजनेस महज कुछ ही महीनों में इस कदर चल निकला कि सुबह से व्यस्तता के बाद देर रात ही खाने का मौका मिलता है। नए साल में अपनी बेकरी खोलने का पूरा मन बना चुकी भव्या कहती हैं कि सुना था कि जहां चाह वहां राह होती है, आज खुद के साथ सच होते देख अच्छा लग रहा है।
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