दैनिक जागरण में प्रकाशित
कोरोना संक्रमण, लॉक डाउन के कारण आर्थिक मंदी के गुजरने वालेे दौर से पूरा विश्व जुझ रहा है। कोरोना ने सबका अर्थ समीकरण बिगाड दिया है। कुछ ऐसी ही साहसी महिलाओं से जब रूबरू हुए तो पता चला कि लॉक डाउन के दौरान ही उन्होने मास्क निर्माण को अपने कमाई का जरिया बनाया। जहां आम आदमी कर्फ्यू में अपने घर से बाहर निकलने और संक्रमण की जद में आने से डर रहा था, ऐसे में इन महिलाओं ने मास्क निर्माण को कुटीर उद्योग से जोडा और अपने परिवार की आर्थिक बदहाली को फिर से पटरी पर लाने में सफलता पाई। ओर अपनी पारिवारिक आर्थिक मजबूती दी।
जोधपुर में भी अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं ने अपने यहां कार्य कर रही महिलाओं को मास्क निर्माण से जोडा। उसी का परिणाम रहा कि जोधपुर में प्रदेश का सबसे पहला मास्क बैंक स्थापित हुआ और सर्वाधिक मास्क वितरण करने का खिताब भी जोधपुर के नाम रहा।
परिवार का सम्बल बनी ममता और मधु- स्थिति मार्च से ही खराब हो गई। पति प्राइवेट नौकरी कर रहा था मगर लॉक डाउन के चलते उसकी नौकरी भी चली गई। ऐसे में ममता ने हिम्मत नहीं हारी और अपने ट्रस्ट में चल रहे मास्क निर्माण के प्रोजेक्ट से जुड गई। मास्क बनाने के साथ ही उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होना शुरू हो गया। इस दौरान अर्जित कमाई से उसने न केवल अपने घर का बिजली का बिल भरा बल्कि परिवार के लिए राशन सामग्री भी जुटाई। इसी प्रकार मदेरणा कॉलोनी निवासी मधुकौर ने भी लॉक डाउन के दौरान प्रतिदिन सात-सात घंटे तक मास्क बनाए। इससे सीमित संसाधनों के उसके परिवार को आर्थिक लाभ मिला। वही अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को भी पूरा करने पर मदद मिली।
मानसिक बीमार बच्चे को मिला सहारा- रामसागर कॉलानी निवासी रेखा पंडित का एक बच्चा मानसिक विमंदित है। वह चलने फिरने में असक्षम है और उसकी दवाईयों का खर्च भी बहुत है। लॉक डाउन के दौरान उसके पति की नौकरी चली गई। ऐसे में उसके घर में खाने-पीन के लाले पड गए। तभी वह मास्क बनाने लगी और उससे मिलने वाली आय से उसका आर्थिक स्तर धीरे-धीरे सुधरने लगा। आज उसको इतनी कमाई हो रही है कि वह अपने मानसिक विमंदित बच्चे के लिए आराम से दवाईयां लेकर आती है।
एयर फोर्स कॉलोनी निवासी रीटा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उसने घर पर ही मास्क बनाना शुरू किया। देखते ही देखते उसका पूरा परिवार उसकी मदद करने लग गया और वर्तमान कोरोना काल में वह मास्क निर्माण कर आराम से अपने घर का खर्च चला रही है और कुछ पूंजी एकत्रित भी कर ली है। इसके अलावा शहनाज बानो, शाहीन, नायरा बानो, खुशनुमा, जिनत, परवीन व सरोज भी मास्क निर्माण से जुडकर अपने परिवार के लिए आर्थिक सहारा बनी।