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जंगल में मिलने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियां जिले में महिलाओं की किस्मत बदलेंगी। स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाएं जड़ी-बूटी एकत्रित कर उनकी ग्रेडिंग (साफ-सफाई और छिलाई) करकर उन्हें तैयार करेंगी। आजीविका मिशन जड़ी-बूटियों की वैल्यू एडीशन (रेट निर्धारित) करेगा। महिलाएं पैकिंग के बाद उन्हें बाजार में ऊंचे दामों में बेच सकेंगी। प्रशासन इसके लिए महिलाओं को बाजार भी मुहैया कराएगा।

जंगल में आदिवासी सामुदाय के लोग रहते हैं। यह लोग जंगल से जड़ी-बूटियां चुनकर उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पेट पालते हैं। बावजूद इसके आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है, क्योंकि मार्केट में व्यापारी सस्ते दामों में जड़ी-बूटी खरीदते हैं और खुद ऊंचे दामों में बेच देते हैं। इस योजना से करीब 25 हजार से अधिक आदिवासियों को फायदा होगा। इससे उन्हें जड़ी-बूटियों के अच्छे दाम भी मिल जाएंगे। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आ सकेगा।

डॉ. मुदगल के मुताबिक आदिवासी सामुदाय के लोग जंगल से अरणी अग्निमंथ, मौलसिरी, खीरनी, फेट्रा, कुटज, जंगली ककड़ी, भृंगराज, जंगली काला तिल, बेलगुदा, शंखपुष्पी, हरश्रृंगार सियारी, चीडगोंद, शंखकेसरी, खैरगोंद, छाबडागोंद, शहद, आंवला, बेरजड, इन्नाीपंचांग, तेंदुपत्ता, महुआ, अर्जुनछाल गोरकू, अमरवेल जैसी जड़ी-बूटियां बड़ी मात्रा में मिलती है।

कलेक्टर श्रीवास्तव के मुताबिक आत्मनिर्भर श्योपुर 2023 के तहत इसे शामिल किया है। इसमें आदिवासियों से जड़ी-बूटी लेकर समूहों के माध्यम से उनकी ग्रेडिंग कराएंगे। आजीविका मिशन उनकी वैल्यू एडीशन कर उनकी आकर्षण पैकिंग कराएंगे। ग्रेडिंग और पैकिंग के लिए मशीन में मंगवा रहे हैं। जड़ी-बूटियों को जिले से बाहर भेजने के साथ ही आजीविका मिशन के मार्ट पर भी रखवाएंगे। जिससे आमजन भी इन्हें आसानी से खरीद सकें।

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