दैनिक भास्कर के अनुसार
चोरहा गांव की सत्या यादव। आज वह नीम के पत्तों का साबुन बना रही है। आसपास के क्षेत्र में उसकी सप्लाई भी कर रही है। इन दिनों वह न केवल अपना खर्च खुद निकाल रही है, बल्कि छोटे भाई के क्रिकेट की कोचिंग और पढ़ाई समेत अन्य चीजों का खर्च वहन कर रही है। इसके अलावा वह अपनी सहेलियों को साबुन बनाना भी सीखा रही है, ताकि वह आत्म निर्भर बन सकें और परिवार का आर्थिक सहयोग कर सकें।
उनसे बताया की परिबारिक झगड़े से हमारी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। हम चार बहने, एक भाई, दादा-दादी समेत संयुक्त परिवार है। ऐसे में पिता ने पुन: रेगहा में काम लेकर पुन: होम साइंस टीचर ने किया गाइड, फिर काम हुआ शुरू, सब्जी की फसल उगाना शुरू किया और लगातार इसे जारी रखा।
उनसे बताया की पिता की सहायता के साथ ही कुछ और करने की चाह थी। इसके लिए हमारी होमसाइंस की टीचर डॉ. अल्पना देशपाण्डेय और पटना के आयुर्वेदिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार से काफी मार्गदर्शन मिला। उनके सहयोग से साबुन बनाने की बारीकियां सीखी। नीम का पत्ता त्वचा रोगों के लिए बेहतर होता है। ऐसे में कील-मुहासे समेत त्वचा संबंधी अन्य रोगों में भी नीम का साबुन कारगर साबित होगा। कुछ अलग करने की चाह थी, इसके लिए मैने नीम के पत्तों से साबुन बनाने की तैयारी की।