दैनिक जागरण के अनुसार
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिप्रा धर को बेटियों के जन्म पर कोई शुल्क न लेने तथा ‘बेटी नहीं है बोझ, आओ बदले सोच’ अभियान के लिए गुजरात सरकार व एआईडब्ल्यूसी ने सम्मानित किया है। डॉ. शिप्रा को यह सम्मान महिला सशक्तिकरण के लिए वर्चुअल माध्यम से प्रदान किया गया।

काशी मेडिकेयर की निदेशिका डॉ. शिप्रा धर बेटियों के जन्म पर कोई शुल्क नहीं लेती हैं। वह विगत छह वर्षों से यह मुहिम चला रही हैं। भारत सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से भी शिप्रा धर जुड़ी हैं। वह लगभग 50 ज़रूरतमंद बच्चियों को निःशुल्क शिक्षा भी प्रदान करती हैं तथा इसके लिए उन्होंने कोशिका नामक एक स्कूल भी खोला है।

साथ ही 40 बिघवा महिलाओं को प्रति माह एक महीने का राशन अपने अनाज बैंक से प्रदान करती हैं। डॉ शिप्रा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बच्चियों को सिलाई कढ़ाई व कम्प्यूटर की शिक्षा भी दे रही हैं। इस कार्य में उनके चिकित्सक पति डॉ. एमके श्रीवास्तव का पूर्ण सहयोग है।

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