सन्मार्गलिवे में प्रकाशित
गौशालाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए उत्पादक गतिविधियां शुरू की जाए। आधिकारिक जानकारी के अनुसार उन्होंने संभाग के सभी जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए हैं कि वे अपने जिले की संचालित सभी गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौकाष्ठ का निर्माण, बायोगैस प्लांट, खाद और गौ-मूत्र से कीटनाशक का निर्माण प्रारंभ कराएं।
गौशालाओं के विधिवत संचालन के लिए रणनीति बनाई जाए और गौशाला की जमीन पर चारागाह विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि नंदी शाला के सांड वंशीय पशुओं को गौशाला में ही रखा जाए, जिससे नस्ल सुधार हो और गायों से दूध का उत्पादन भी लिया जा सके। गोबर और गौमूत्र से गौशालाओं को आत्म निर्भर बनाया जाए।
गौ-मूत्र से कीटनाशक बनाकर उसकी भी मार्केंिटग की जाए। उन्होंने कहा कि एग्रो से समन्चवय कर बायोगैस संयंत्र लगाकर ग्रामीण आबादी को रसोई गैस उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन सभी गौशालाओं का निर्माण शीघ्र पूरा किया जाए और भूमि आदि की कठिनायों को राजस्व अधिकारियों से समन्वय कर उसे दूर किया जाए। गौकाष्ठ निर्माण मशीनों को तत्काल स्थापित कर स्व-सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाए।