दैनिक जागरण में प्रकाशित
जिस तरह लड़कियों के साथ सरेआम छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसी घटनाएं आए दिन सुनने और देखने को मिलती हैं उसको देखते हुए अब लड़कियां खुद भी मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत हो रही हैं। ट्रेनिग के दौरान लड़कियों को चाकू के वार से बचने, हाथापाई और अपने डिफेंस में हमला करने की तकनीक सिखाई जाती है।
साथ ही लड़कियों को गले पर वार करना, आंखों पर वार करना, कमर पर वार करना, अपने दुपट्टे को हथियार बनाना, अगर कोई पीछे से पकड़े तो, अगर कोई हाथ की कलाई को पकड़ता है तो, उंगलियों, हाथ, कोहनी, हथियारों, पैर, घुटने, पैर का पंजा का वार सिखाया जा रहा है।
सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिग से उसके आत्मविश्वास में काफी बढ़ोतरी हुई है। एक लड़की ने कहा कि वह अब खुद को बुरी नजर रखने वालों से सुरक्षित महसूस करती है क्योंकि सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिग के बाद उन्हें लग रहा है कि वे अपनी सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। एक और लड़की का कहना है कि सेल्फ डिफेंस की तकनीक न केवल हमारे बचाव में कारगर है बल्कि यह हमारे आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है।
हर महिला को इसे सीखना चाहिए। ट्रेनिग के दौरान बताया जाता है कि कैसे केवल हाथ, अंगूठा, पैर हमारे बचाव में काम आ सकते हैं। इसी प्रकार कई लड़कियां ने भी इस सेल्फ डिफेंस ट्रेनिग को काफी महत्वपूर्ण बताया। सेल्फ डिफेंस के माध्यम से लड़कियां अपने डर पर जीत पा सकती हैं और आत्मविश्वास से परिपूर्ण और आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
इस तकनीक के बाद लड़कियां खुद से ताकतवर इंसान को भी पल भर में चित्त करके अपनी रक्षा कर सकती हैं।उन्होने ने बताया कि धीरे-धीरे यह ट्रेनिग प्रदेश के हर जिले में शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिग के बाद लड़कियों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
लड़कियों को करीब 100 से ज्यादा परीक्षण ले सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिग दी जा रही है, जिनका इस्तेमाल कर वो खुद को किसी भी विपरीत परिस्थिति में बचा सकती हैं।