पत्रिका में प्रकाशित
अपने दिव्यांक पति और परिबर की आजीविका चलाने न केवल गाड़ी का सटेयरिंग थामी बल्कि आदिवासी महिला ड्राइवर होने का गौरव प्राप्त किया, जिसने न केवल महिला आतमनिर्भर की एक नई मिसाल लिखी, बल्कि अपने परिबार को भी एक सहारा दिया।
सुनीता का पति दिव्यांक है साथ में परिबार में आर्थिक कठिनाएं हैं। इसी बजह से वो आजीविका समहू से जुड़ी और प्रधानमंत्री परिवहन योजना के अंतर्गत अपने समहू के माध्यम से कर्ज लेक कर एक वाहन खरीदा और चलना, शुरू कर फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
इसके बाद इसी बहान से सवारियाँ और समान की लोडिंग कर जिले और जिले के बाहर ले जा ही है। सुनीता जिले की पहली महिला ड्राइवर होने का गौरव प्राप्त हुआ। और अपने परिबार की आजीविका की गाड़ी भी बहुत अच्छी चल रही है। आजीविका एक्स्प्रेस से आय बढ़ी तो अपने खेती को बढ़ावा दिया। अपने छोटे से खेत में टूबेवेल भी लगाव लिया, जिससे सिचाई का संकट खत्म हों गया।