नईदुनिया में प्रकाशित

जिले के गांव कोद की महिलाओं के राम रहीम स्व सहायता समूह ने 2014 में अपने काम की शुरुआत की थी। समूह ने छोटे-छोटे कामों से ऐसी साख बनाई कि बैंक भी उसे ऋण देने में आनाकानी नहीं करता है। समूह की महिलाएं तो अपनी आजीविका चला रही हैं, साथ में 35 अन्य महिलाओं के लिए भी रोजगार के द्वार खोले हैं। इसमें महिलाओं ने छोटी-छोटी सामग्री का निर्माण और कच्ची सामग्री से पैकिंग कर आत्मनिर्भर होने का कदम उठाया है।

डिजाइनर पूजा थाली, लाख की चूड़ी बनाना, मसाला पैकिंग, अचार व पापड़ बनाना, दीया बत्ती, फूलबत्ती, बैग निर्माण, मास्क निर्माण करना, अगरबत्ती बनाना व सिलाई कार्य के साथ ही होम डेकोरेशन का काम शुरू किया गया। सामूहिक गतिविधि के तहत काम करने वाली महिलाओं की संख्या लगभग 35 है। प्रत्येक महिला की मासिक आय करीब 6 हजार रुपये हो गई है। यह समूह दो लाख से अधिक मासिक कमाई कर रहा।

आज ये मेहनत और विश्वास के साथ अपनी समस्याओं का समाधान कर रही हैं। 2014 में आजीविका मिशन से जुड़कर 10 महिलाओं के साथ मिलकर स्व सहायता समूह बनाया था। इसके बाद  समूह को आजीविका मिशन के माध्यम से छोटा-सा ऋण प्राप्त हुआ। उससे  चूड़ी बनाने का कार्य शुरू किया। बाद में मिशन के माध्यम से और ऋण प्राप्त हुआ।  दीदियों ने समूह से जुड़कर बचत के साथ-साथ आजीविका बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की सोची। हम सभी महिलाओं ने सामूहिक गतिविधि करना शुरू किया तो सफलता मिली।

समूह को लगभग तीन बार आईसीआईसीआई बैंक से ऋण प्राप्त हो चुका है। अन्य बैंक से पांच लाख रुपये का ऋण प्राप्त हुआ है। इस तरह से स्थानीय स्तर के साथ मेलों व बाजारों में विपणन का कार्य कर ये महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं।

स्रोत