दैनिक जागरण में प्रकाशित

वर्ष 2019 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गोपालजी स्वयं सहायता समूह गठित किया। समूह की सदस्य महिलाओं ने बचत करके धनराशि एकत्र कर आचार बनाने का कार्य शुरू किया। समूह को विभाग द्वारा भी एक लाख रुपये की धनराशि दी गई है। समूह की महिलाओं द्वारा अचार बनाने का कार्य अब गति पकड़ चुका है। समूह की महिलाएं आम, नींबू, हरी मिर्च, टीट, आंवला, करौंदा व कमल ककड़ी का अचार का अचार बनाती हैं। आंवला, सेब के मुरब्बे के अलावा टमाटर की चटनी भी तैयार की जाती है।

अचार, शायद ही किसी घर की रसोई में नहीं होगा। इस अचार ने गांव बिजवाड़ा की बृजेश जैसी महिलाओं की तकदीर ही बदल दी। अचार बनाकर बृजेश के साथ ही गांव की अन्य महिलाओं ने मुफलिसी को मात दी और स्वरोजगार की राह पकड़ी। अचार बेचकर आर्थिक रूप से सशक्त हुई महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई। आज महिलाओं द्वारा बनाया गया अचार जिले में ही नहीं आसपास के जिलों में भी पसंद किया जा रहा है।

इस काम में महिलाओं का एक समहू काम करता और आचार तैयार कर वे अपने गांवों में आपूर्ति करती है। इसके अलावा आसपास के गांवों व दूसरे जनपदों में भी आचार आपूर्ति किया जा रहा है। अचार की कीमत 80 रुपये से 150 रुपये किग्रा तक हैं। महिलाओं ने अचार के जरिए स्वरोजगार की राह पकड़ी है।

स्रोत