उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा कि 2016 में जब से सरकार ने बौद्धिक संपदा नीति अपनाई है, सात वर्षों की समय अवधि में पेटेंट को मंजूरी दिए जाने की संख्या में पांच गुना बढ़ोतरी हो गई है। श्री जैन ने कहा कि इस अवधि के दौरान पंजीकृत ट्रेडमार्कों की संख्या में भी चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है। वे आज यहां विश्व आईपी दिवस के अवसर पर डीपीआईआईटी तथा फिक्की द्वारा आयोजित ‘‘आईपी के माध्यम से भारत के जनसंख्या संबंधी लाभांश का लाभ उठाना‘‘ विषय पर दिन भर चलने वाले सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

उन्हने ने कहा कि सरकार ने देश की आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने के लिए ट्रेडमार्कों तथा पेटेंटों के लिए प्रारूपों की संख्या में कमी लाने सहित उपायों की एक श्रृंखला आरंभ की है। उन्होंने कहा कि ट्रेडमार्कों में 74 फॉर्म हुआ करते थे, लेकिन अब उन्हें कम करके केवल आठ कर दिया गया है और इसी प्रकार पेटेंटों के लिए सभी प्रकार के फॉर्म को समाप्त कर दिया है और इसके लिए केवल एक ही फॉर्म है।

उन्हने ने कहा कि जिस तरह विभिन्न सरकारी विभागों ने अमृत काल के दौरान अगले 25 वर्षों के लिए विजन@2047 आरंभ किया, सबसे महत्वपूर्ण प्रेरणादायी कारक ज्ञान तथा नवाचार होंगे।

उन्हने ने कहा ‘‘केवल उन्हीं उद्योगों का अस्तित्व रह पाएगा जो ज्ञान तथा नवाचार में निवेश करेंगे। ज्ञान तथा नवाचार को बचाये रखने के लिए बौद्धिक संपदा एक बहुत ही महत्वपूर्ण टूल बन जाता है। इसका एक और महत्वपूर्ण पहलू स्टार्टअप्स है।”

श्री जैन ने कहा कि चूंकि स्टार्टअप्स संबंधी पहल 2016 में लॉन्च की गई थी, छह वर्षों की समय अवधि में हम बढ़कर तीसरी सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गए हैं। पिछले वर्ष, सृजित किए जाने वाले यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में हमने चीन को पीछे छोड़ दिया और हम दूसरे सबसे बड़े देश बन गए।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम अपने देश में प्रत्येक दिन 80 स्टार्टअप्स के पंजीकृत किए जाने के स्तर तक पहुंच चुके हैं जोकि विश्व में सर्वाधिक है।”

श्री जैन ने कहा कि हमें युवाओं की सोच में बौद्धिक संपदा (आईपी) के बीज का संचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा आरंभ किए गए आईपी जागरूकता के लगभग 400 कार्यक्रमों में करीब 4,300 संस्थानों ने भाग लिया।

उन्होंने कहा ‘‘इसे एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया गया है। उसके बाद महाविद्यालयों के साथ भी बहुत साझेदारी हैं। ‘‘उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमने लगभग 18 आईपीआर चेयर्स की स्थापना की है तथा विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में लगभग 135 आईपीआर प्रकोष्ठों की स्थापना की गई है।

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