दैनिक जागरण में प्रकाशित
हरे भरे पेड़-पौधे जीवनदायी होते हैं। पेड़ों की इसी महत्ता को समझते हुए डाला क्षेत्र के कोटा ग्राम पंचायत के जारंगाखाड़ी निवासी गुलाब ने नौ बीघे बंजर भूमि पर पूरी बागवानी तैयार कर दी। वह पिछले 26 वर्षों से इसी काम में लगे हुए हैं। अब तक वे एक हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। इसमें फलदार के साथ ही इमारती लकडिय़ों वाले पौध शामिल हैं।
विकास खंड चोपन के घनी आबादी वाले कोटा ग्राम पंचायत का सर्वाधिक भू-भाग घनघोर जंगलों व उच्चे पहाड़ों से आच्छादित है। कटते पेड़ व सिमटते जंगलों को बचाने की मुहिम में जुटे जरंगाखाड़ी निवासी किसान गुलाब क्षेत्रीय लोगों के लिए मिसाल बने हैं। उन्होने अपने जीवन का 26 वर्ष बंजर भूमि को हराभरा बनाने में गुजार दिए। अब वे 71 वर्ष से भी अधिक उम्र के पड़ाव पर पहुंच चुके हैं। इसके बाद भी वे अपने ग्रीन मिशन कार्य में बराबर लगे रहते हैं। यह बगिया एक-दो बीघे कि नहीं बल्कि लगभग नौ बीघे के क्षेत्रफल में फैली हुई है।
पहाड़ी इलाका होने के चलते इस भूमि पर कुछ नहीं होता था। वह पूरी तरह से बेकार पड़ी थी। इसी बीच उनके मन में आया कि इस भूमि पर पौधों का रोपण करने का मन बनाकर कर उसे हरा भरा बनाने का संकल्प लिया, जो आज भी जारी है। इस बगिया में लगा एक-एक पौधा बहुत महेंगे खरीद कर लगाया गया है। एक बगिया में एक हजार से भी अधिक की संख्या में पौधे रोपित कि किए गए हैं। वर्षांत के पूर्व वे हमेशा गड्ढे को स्वयं खोदकर तैयार रखते हैं इसके बाद खोदे गए गड्ढों में पौधे रोपित कर देते हैं।
उसी बाग में 500 मीटर लंबे व 350 मीटर चौड़े क्षेत्रफल में लगी गुलाब की हरी-भरी बगिया देखते ही बनती है। उन्होंने बताया कि बगिया में गैर प्रदेशों में उत्पादित होने वाले फल सेब, संतरा, चीकू, अनार, लीची, अनानास, कीवी जैसे कीमती फलदार पौधे भी उनकी बगिया में उप्लब्ध हैं।