कपड़ा मंत्रालय, विकास आयुक्त कार्यालय हथकरघा देश भर में हथकरघा के विकास और हथकरघा बुनकरों के कल्याण के लिए कई योजनाओं चालू कर रही रही है इन योजनाओं के तहत पात्र हथकरघा एजेंसियों/बुनकरों को कच्चे माल, सामान्य बुनियादी ढांचे के विकास, घरेलू/विदेशी बाजारों में हथकरघा उत्पादों के विपणन, रियायती दरों पर ऋण आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
योजनाओं का उद्देश्य हथकरघा बुनकरों को 90% रियायती दरों पर उन्नत करघे और सहायक उपकरण प्रदान करके उत्पादकता बढ़ाना, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कौशल उन्नयन, डिजाइनरों को शामिल करके डिजाइन नवाचार और उत्पाद विविधीकरण, घरेलू के लिए पारंपरिक और समकालीन सहित हथकरघा उत्पादों की किस्मों का उत्पादन करना है। साथ ही विदेशी बाजारों में भी। यह मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय मेलों/प्रदर्शनियों, क्रेता-विक्रेता बैठक, रिवर्स क्रेता-विक्रेता बैठक आदि में संगठन/भागीदारी के माध्यम से हथकरघा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है।
भौगोलिक संकेत (जीआई) अधिनियम, 1999 के तहत उत्पादों को पंजीकृत करके पारंपरिक हथकरघा उत्पादों को भी बढ़ावा दिया जाता है। अब तक, 72 हथकरघा उत्पाद और 06 उत्पाद लोगो जीआई अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं। बनारस ब्रोकेड और साड़ी और चंपा सिल्क साड़ी और कपड़े (कोसा से बने) को जीआई अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है ताकि उन्हें नकल या दूसरों द्वारा उनके अनधिकृत उपयोग से बचाया जा सके।
इसके अलावा, ‘इंडिया हैंडलूम’ ब्रांड (आईएचबी) को शून्य दोष और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उच्च गुणवत्ता वाले विशिष्ट हथकरघा उत्पादों की ब्रांडिंग और प्रचार के लिए लॉन्च किया गया था। 31.10.2021 तक 1714 पंजीकरण जारी किए जा चुके हैं। आईएचबी उत्पादों सहित हथकरघा उत्पादों के ई-विपणन को बढ़ावा देने के लिए 23 ई-कॉमर्स संस्थाओं को लगाया गया है।
चौथी अखिल भारतीय हथकरघा जनगणना 2019-20 के अनुसार, देश भर में 35.22 लाख हथकरघा कामगार हैं। उपरोक्त योजनाओं का लाभ देश की सभी पात्र हथकरघा एजेंसियों/संगठनों/हथकरघा श्रमिकों आदि के लिए उपलब्ध है।