कृषि मंत्री ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के साथ मिलकर गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) द्वारा विकसित एक नया उत्पाद ‘अमूल हनी’ बाजार में पेश किया। इस पेशकश के बाद उन्होने ने कहा कि सरकार छोटे किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए करीब 500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। एक सरकारी बयान में तोमर के हवाले से कहा गया है कि एनबीबी की स्थापना विभिन्न गतिविधियों को संचालित करने के लिए भी की गई थी।
उन्होने ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत छोटी जोत वाले किसान हैं। इन छोटी जोत वाले किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें मधुमक्खी पालन जैसे कृषि के अन्य आयामों से जोड़ना आवश्यक है। मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की धरती पर एक मीठी क्रांति की इच्छा व्यक्त की थी और आज अमूल शहद के लॉन्च करके भारत ने प्रधानमंत्री के सपने को साकार की दिशा में यात्रा शुरू की है।
उदाहरण के लिए, शहद की गुणवत्ता की जांच के लिए पांच प्रमुख प्रयोगशालाएं और 100 मिनी-शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। इसके अलावा, तोमर ने स्थानीय शहद मानकों को सुधारकर वैश्विक स्तर पर लाने और निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। सहकारी मॉडल को कृषि क्षेत्र में सफलता की कुंजी बताते हुए उन्होने ने कहा कि सहकारी भावना के साथ काम करने से दूध के क्षेत्र में अमूल की तरह बढ़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अमूल ब्रांड के मालिक जीसीएमएमएफ ने देश में श्वेत क्रांति लाने में बड़ा योगदान दिया है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि किसान न केवल शहद से बल्कि रॉयल जेली जैसे उप-उत्पादों से भी कमा सकते हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग और बेहतर कीमतें हैं। इस कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे के साथ-साथ जीसीएमएमएफ के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।