परियावरण को हरित बनाने और कार्बन फुटप्रिन्ट में कमी लाने के लिए एक बड़े कदम के रूप में, राष्ट्रीय खनन कंपनी, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), कोयला मंत्रालय ने अपने डंपरों में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) किट को रेट्रोफिटिंग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है-खदानों में कोयले का परिवहन करने में लगे हुए बड़े ट्रकों में यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी में प्रतिवर्ष 4 लाख किलोलीटर से ज्यादा डीजल का उपयोग होता है और इसकी लागत सालाना 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है।
कंपनी ने गेल (इंडिया) लिमिटेड और बीईएमएल लिमिटेड के साथ मिलकर अपनी सहायक कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) में संचालित दो 100 टन डंपरों में एलएनजी किट की रेट्रोफिटिंग करने के लिए एक पायलट परियोजना की शुरुआत की है। सीआईएल ने इस पायलट परियोजना को पूरा करने के लिए गेल और बीईएमएल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया हैं। एक बार एलएनजी किट की सफलतापूर्वक रेट्रोफिटिंग और जांचहो जाने के बाद ये डंपर दोहरी ईंधन प्रणाली पर चल सकेंगे यानी कि एलएनजी और डीजल दोनों पर और एलएनजी का उपयोग करते हुए उनका संचालन बहुत ही सस्ता और विशुद्ध हो जाएगा।
सीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह एक गेम चेंजर साबित होगा। कंपनी के पास अपनी ओपन कास्ट कोयला खदानों में 2,500 से ज्यादा डंपर काम करते हैं। कंपनी द्वारा खपत किए जाने वाले कुल डीजल का लगभग 65% से लेकर 75% तक इन डंपर बेड़े पर लग जाता है। एलएनजीके माध्यम से डीजल के उपयोग में लगभग 30% से 40% तक कमी आएगी और ईंधन की लागत में लगभग 15% की कमी आएगी। इस कदम से कार्बन उत्सर्जन में बहुत हद तक कमी आएगी और अगर डंपरों सहित सभी मौजूदा हैवी अर्थ मूविंग मशीन (एचईएमएम) को एलएनजी किट के साथ रेट्रोफिटिंग कर दिया जाए तो सालाना लगभग 500 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके अतिरिक्त डीजल चोरी और मिलावट से छुटकारा पाना इसके अन्य फायदे हैं।”
डंपरों कीदोहरी ईंधन (एलएनजी-डीजल) प्रणाली का पूर्व परीक्षण 90 दिनों तक अलग-अलग खेपों और परिचालन स्थितियों में किया जाएगा। सीआईएल की खनन स्थितियों में इस प्रणाली के औचित्य का पता लगाने के लिए पूर्व परीक्षण के दौरान प्राप्त किए गए आंकड़ों के आधार पर एक तकनीकी-आर्थिक अध्ययन किया जाएगा। पायलट परियोजना से प्राप्त हुए निष्कर्ष के आधार पर, सीआईएल अपने एचईएमएम, विशेष रूप से डंपरों में,एलएनजी का बृहत् उपयोग करने का निर्णय लेगा। अगर यह पायलट परियोजना सफल हो जाती है तो कंपनी द्वारा सिर्फ और सिर्फ एलएनजी इंजन वाले एचईएमएम खरीदने की भी योजना बनाई जा रही है। इस कदम से सीआईएल को अपने कार्बन फुटप्रिन्ट में तीव्रता से कमी लाने और चिरस्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि दुनिया के प्रमुख खनन डम्पर निर्माता अब दोहरी ईंधन (एलएनजी-डीजल) प्रणाली इंजनवाले डंपरों का निर्माण करने की दिशा में कदम रख रहे हैं। सीआईएल की यह कोशिश, कोयला खदानों में पहले से संचालित हो रही अपनी मशीनों को हरित और लागत प्रभावी बनाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।