केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने महीने भर चलने वाले पोषण माह 2021 के तहत कार्यक्रमों की श्रृंखला की शुरुआत करते हुए कहा कि राष्ट्र की पोषण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आयुर्वेद के उपयोग के प्राचीन ज्ञान का प्रभावी ढंग से प्रयोग कैसे किया जा सकता है, इस बारे में ज्ञान प्रदान करना समय की आवश्यकता है। पोषण माह – 2021 की शुरुआत के अवसर पर पोषण वाटिका का उद्घाटन किया। और  शिगरू (सहिजन) और आंवला के पौधों का पौधारोपण भी किया।

आयुष मंत्रालय ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ एक सहयोगी उद्यम के माध्यम से एनीमिया की घटनाओं को कम करने के लिए कई प्रयास किए हैं। कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान उन्होने ने आईसीएमआर के साथ सहयोगात्मक उद्यम के माध्यम से एनीमिया की घटनाओं को कम करने के लिए  मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने वैज्ञानिक आंकड़ों के प्रकाशन की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि दुनिया आयुर्वेद के योगदान को स्वीकार कर सके।

डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों जैसे शिगरू, शतावरी, अश्वगंधा, आमला, तुलसी और हल्दी के पोषण तथा औषधीय महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने मां और बच्चे की समग्र भलाई के लिए साक्ष्य-आधारित आयुर्वेद पोषण प्रथाओं को बढ़ावा देने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने स्वस्थ संतान को जन्म देने के लिए गर्भावस्था के दौरान मां के जीवन में पोषण के महत्व को भी रेखांकित किया और आयुर्वेद के उपयोग से कैसे मदद की जा सकती है।

महीने भर चलने वाले इस उत्सव के दौरान एआईआईए द्वारा रोगी जागरूकता व्याख्यान, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, अतिथि व्याख्यान और कार्यशालाओं जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

इस अवसर पर शतावरी, अश्वगंधा, मूसली और यष्टिमधु जैसे पौधों का रोपण अभियान आयोजित किया गया तथा रोगियों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के बीच स्वास्थ्य और पोषण का लाभ वाले इन पौधों का वितरण भी किया गया। आम जनता को पोषक मूल्य वाले चयनित पौधों की सूचना पुस्तिका भी प्रदान की गई। सत्तू पेय, तिल के लड्डू, झंगौर की खीर, नाइजर के बीज के लड्डू, आमलकी पनाका आदि जैसे विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले आयुर्वेदिक पौष्टिक व्यंजनों को भी कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित किया गया।
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