केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ‘ई संजीवनी’ ने 7 मिलियन (70 लाख) परामर्श पूरा करके एक और मील का पत्थर पार कर लिया है। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े परामर्श की तलाश में मरीज इस नवीन डिजिटल माध्यम का उपयोग करके दैनिक आधार पर डॉक्टरों) और विशेषज्ञों से परामर्श हासिल करते हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, जून माह में इस सेवा ने लगभग 12.50 लाख रोगियों की मदद की, जोकि पिछले साल मार्च में इसके शुरू होने के बाद से सबसे अधिक है। वर्तमान में, यह राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 31 राज्यों/ केन्द्र – शासित प्रदेशों में कार्यरत है।
ई संजीवनीएबी–एचडब्ल्यूसी, जोकि डॉक्टर-से-डॉक्टर के बीच एक टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म है, को लगभग 21,000 स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों और लगभग 30 राज्यों के जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्थित 1900 से अधिक हब में स्पोक्स के तौर पर लागू किया गया है. डॉक्टर-से-डॉक्टर के बीच के इस टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ने 32 लाख से अधिक रोगियों की सेवा की है। रक्षा मंत्रालय ने भी ‘ई-संजीवनी’ ओपीडी पर एक राष्ट्रीय ओपीडी का आयोजन किया है, जहां रक्षा मंत्रालय द्वारा बुलाए गए 100 से अधिक अनुभवी डॉक्टर और विशेषज्ञ देशभर के मरीजों की सेवा करते हैं। पिछले साल अप्रैल में, इस महामारी की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर लगाए गए पहले लॉकडाउन के तुरंत बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘ई-संजीवनी’ ओपीडी शुरू की।
‘ई-संजीवनी’ ओपीडी एक मरीज और डॉक्टर के बीच का एक टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म है, जो जनता को उनके घरों में ही स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। ‘ई-संजीवनी’ ओपीडी पर 420 ऑनलाइन ओपीडी आयोजित की जाती है। और यह प्लेटफॉर्म स्पेशलिटी और सुपर-स्पेशियलिटी ओपीडी का आयोजन करता है। साथ ही, इनमें से कई स्पेशियलिटी और सुपर-स्पेशियलिटी ओपीडी का प्रबंधन 5 राज्यों (हिमाचल प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड) में स्थित एम्स, लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी आदि जैसे प्रमुख अस्पतालों द्वारा किया जा रहा है। पिछले दो सप्ताह से 50,000 से अधिक मरीज ई-संजीवनी सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं और लगभग 2000 डॉक्टर दैनिक आधार पर टेलीमेडिसिन के जरिए परामर्श देते हैं।