उच्च गुणवत्ता वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाला स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर अब बाजार में उपलब्ध है। एक भारतीय स्टार्टअप ने इस किफायती पोर्टेबल ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर को विकसित किया है और अब देश के विभिन्न अस्पतालों में इसकी आपूर्ति करने के लिए कॉन्सेंट्रेटर को बनाया जा रहा है।
विशेष रूप से कोविड- 19 की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल एक बड़ी चुनौती रहा है। भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माताओं एवं स्वदेशी ऑटोमेशन कंपनियों ने कोविड की इस चुनौती को स्वीकार किया और वेंटिलेटर, पोर्टेबल श्वसन सहायता उपकरण तथा अन्य संबंधित उपकरणों के नवीन डिजाइनों का निर्माण किया।
मोहाली स्थित वॉलनट मेडिकल ने भारत में प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (पीएसए) तकनीक पर आधारित 5 लीटर और 10 लीटर पोर्टेबल मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर विकसित किया है, जिसमें 55-75 किलोपास्कल (केपीए) के दबाव में 96% से अधिक ऑक्सीजन शुद्धता है। प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन तकनीक शुद्ध एकल गैस को गैस मिश्रण से अलग करती है। पीएसए एक नॉन-क्रायोजेनिक एयर सेपरेशन (व्यापक तापमान पृथक्करण प्रक्रियाओं से मिलती जुलती) प्रक्रिया है जो आमतौर पर व्यावसायिक कार्यों के लिए उपयोग में लाई जाती है। ये दो पैरामीटर कोविड या अन्य श्वास संबंधी समस्याओं से पीड़ित मरीजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं।
कंपनी को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी) के कवच 2020 अनुदान द्वारा सहयोग प्रदान किया गया था, और कंपनी ने आयात पर निर्भरता कम करने के लिए एक साल में विश्व स्तरीय ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर विकसित किया है।
वॉल्नट चिकित्सा ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर का परीक्षण मरीज़ की सुरक्षा, विद्युत सुरक्षा, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कम्पैटबिलटी (ईएमसी) और ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स के लिए अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुसार किया गया है।
संपूर्ण मोल्ड डिजाइन, सभी इलेक्ट्रॉनिक्स का विकास, मोल्डिंग, नियंत्रण प्रणाली, सिव टॉवर तथा सभी संबंधित पार्ट्स एवं सहायक उपकरण भारत में ही विकसित किए गए हैं। वर्तमान में इनकी आपूर्ति भारत में विभिन्न सरकारी, रक्षा व सैन्य अस्पतालों को की जा रही है और पूरे भारत में अपने वितरण नेटवर्क के माध्यम से अब इन्हें आम जनता के लिए भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
डीएसटी के सहयोग ने उन्हें 5 लीटर और 10 लीटर मॉडल के साथ अपने प्रयास को आगे बढ़ाने में मदद की और कंपनी ने जापान, अमेरिका और चीन के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए गुणवत्ता वाले मोल्ड में निवेश किया। आईआईटी दिल्ली की इनक्यूबेशन टीम ने भी इसके विकास में वॉल्नट मेडिकल के साथ मिलकर काम किया है।