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नई औद्योगिक नीति के तहत केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के देश के साथ रिश्तों को और मजबूत करने का लक्ष्य साधा है। नई उद्योग नीति के तहत निवेश को बढ़ावा दिया गया है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों से उद्योगपति आकर यहां आकर निवेश कर सकें। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए कानून में पहले ही संशोधन कर चुकी है। अब इस नीति में 500 करोड़ रुपये तक के निवेश में बैंक कर्ज पर ब्याज पर सात सालों के लिए छह फीसद तक की छूट देकर सरकार ने बड़े निवेशकों को जम्मू-कश्मीर की ओर आकर्षित करने का काम किया है।

जीएसटी रियायत भी दी गई है जिसके उद्योगपतियों को दूरगामी लाभ मिलेंगे। यह संयंत्र और मशीनरी (निर्माण में) या भवन व अन्य सभी टिकाऊ संपत्ति (सेवा क्षेत्र में) में दस सालों के लिए गए वास्तविक निवेश के योग्य मूल्य के 300 फीसद तक उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा। जम्मू कश्मीर में नई उद्योग नीति एक क्रांति लाएगी। इस योजना से जम्मू कश्मीर का कायाकल्प करने के लिए केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन पूरी तैयारी में है। पहले ऐसी योजनाएं पारदर्शिता के अभाव में अपने मकसद में कामयाब नहीं होती थी। अब हर वह कोशिश की जा रही है, जो उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है। यह पहली बार है जब जम्मू कश्मीर में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इतने बड़े पैकेज का एलान किया गया है।

जम्मू-कश्मीर को मुख्य धारा में लाने के प्रयासों के तहत सरकार ने उद्योग के रास्ते जम्मू-कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य साधा है, जिसके लिए घरेलू उत्पादन को अधिक महत्व देते हुए निर्यात पर निर्भरता को कम करने का प्रयास किया जाएगा। नई औद्योगिक नीति के तहत सरकार का प्रयास है कि जम्मू-कश्मीर से निर्यात बढ़े और इसीलिए सरकार ने ब्लाक स्तर तक इस नीति का लाभ देने की घोषणा की है। सरकार को उम्मीद है कि इससे प्रदेश में बीस हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा और साढ़े चार लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।

आमतौर पर प्रदेश में चार साल के लिए औद्योगिक नीति बनाई जाती है और अंतिम बार 2016 में प्रदेश औद्योगिक नीति घोषित हुई थी। गत वर्ष इसीलिए औद्योगिक नीति की घोषणा नहीं हुई क्योंकि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए खास नीति घोषित करने का संकेत दे दिया था। इससे पूर्व की उद्योग नीति में एसजीएसटी का वापस भुगतान, ट्रांसपोर्ट खर्च का भुगतान, बिजली का कनेक्शन मिलने तक जनरेटर सब्सिडी समेत कई अन्य रियायतें दी जाती रही हैं। जम्मू कश्मीर के व्यापारिक वर्ग की भी यह लंबे समय से मांग थी। कोरोना संक्रमण के बाद जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था बेहाल है। यहां पर आतंकवाद के कारण पहले से ही उद्योगों का बुरा हाल था। मगर नए पैकेज से यहां के लाखों लोगों को लाभ मिलेगा।

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