भारतीय रेल ने स्वर्णिम चतुर्भुज और स्वर्णिम कोणीय (जीक्यू-जीडी) रूट में 1,612 किलोमीटर में से 1,280 किमी लंबाई के लिए अधिकतम गति उल्लेखनीय रूप से बढ़ाकर 130 किमी प्रति घंटा कर देने के द्वारा एक ऐतिहासिक उपलब्धि अर्जित कर नए वर्ष की शुरुआत की है। यह विजयवाड़ा – दुव्वाडा खंड को छोड़कर, जहां सिग्नल अप-ग्रेडेशन कार्य प्रगति पर है, दक्षिण मध्य रेलवे के समस्त जीक्यू-जीडी रूट को कवर करती है। और ट्रेन ने करीब 400 किमी की दूरी सिर्फ 3.50 घंटे में ये पूरी की।
यह संवर्धित गति सीमा तेज गति से इन खंडों में बाधाओं को हटाने के द्वारा ट्रैक एवं इसकी अवसंरचना की व्यवस्थित और नियोजित सुदृढ़ीकरण के जरिए अर्जित की जा सकी। इसमें भारी छड़ों, 260 मीटर लंबे वेल्डेड रेल पैनल बिछाने, मोड़ों एवं ढलानों में सुधार शामिल थे। इसी के अनुरूप, दक्षिण मध्य रेलवे जोन को निम्नलिखित रूटों के साथ अधिकतम गति सीमा 130 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने की मंजूरी प्राप्त हुई है।
उल्लेखनीय है कि कोविड महामारी के बावजूद भारतीय रेल ने अवसंरचना, नवोन्मेषण, नेटवर्क के क्षमता विस्तार, माल ढुलाई विविधीकरण के विकास में अभूतपूर्व वृद्धि अर्जित की है। रेलवे ने कोविड चुनौती का उपयोग भविष्य के विकास और यात्रियों के लिए यात्रा अनुभव के अगले स्तर की आधारशिला रखने के एक अवसर के रूप में किया है।
सिकंदराबाद – काजीपेट (132 किलोमीटर की दूरी) के बीच हाई-डेंसिटी नेटवर्क (एचडीएन) में अधिकतम गति सीमा पहले ही 130 किमी प्रति घंटे तक बढ़ा दी गई थी। इस प्रकार, इन खंडों में अप और डाउन दोनों लाइनों सहित कुल 2,824 किलोमीटर (1412 रूट किमी) को अब 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलाने के उपयुक्त बना दिया गया है। यह विजयवाड़ा – दुव्वाडा खंड को छोड़कर जहां सिग्नल अप-ग्रेडेशन कार्य प्रगति पर है, दक्षिण मध्य रेलवे के समस्त जीक्यू-जीडी रूट को कवर करती है।