भारत रत्न प्रोफेसर सी एन आर राव और उनकी टीम के एक अध्ययन ने ऐसी सटीक परमाणु पुनर्व्यवस्था (प्रेसाइज एटॉमिक रिअरेंजमेंट्स) का पता लगाया है जो परिवर्तित तापमान और दबाव के कारण लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट के प्रत्येक चरण के संक्रमण में होती है और ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक गुणों पर उनके परिणामी प्रभाव होते हैं। इस तरह के अध्ययन कुशल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में सहायता कर सकते हैं।
हाल के वर्षों में लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट्स ने अपने आश्चर्यजनक रूप से अच्छे ऑप्टोइलेक्ट्रिकल गुणों के कारण बहुत अधिक ध्यान आकर्षित किया है, जो उन्हें उत्कृष्ट सौर सेल सामग्री बनाता है। जबकि उनकी ऊर्जा रूपांतरण दक्षता वाणिज्यिक सिलिकॉन-आधारित सौर कोशिकाओं से भी अधिक हो सकती है, लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट स्वाभाविक रूप से स्थिर सामग्री नहीं हैं। अध्ययनों से पता चला है कि ये सामग्रियां समान परिस्थितियों में भी विभिन्न संरचनात्मक परिवर्तनों (या ‘चरण परिवर्तन’) से गुजरती हैं। तापमान और दबाव परिवर्तन आसानी से उनकी क्रिस्टलीय संरचना को संशोधित कर सकने के साथ ही उनके भौतिक गुणों को भी बदल सकते हैं और उनके प्रदर्शन को कम कर सकते हैं।
इसलिए इन सामग्रियों की वर्तमान सीमाओं को समझने और उसके बाद संभावित समाधानों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए उनके रिपोर्ट किए गए चरण परिवर्तनों का गहन विश्लेषण आवश्यक था।
एक नए अध्ययन में, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान, जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च -जेएनसीएएसआर) बेंगलुरु के प्रोफेसर प्रताप विश्नोई और प्रोफेसर सी.एन.आर. राव ने वर्तमान ज्ञान अंतराल और संकर (हाइब्रिड) लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट्स पर हाल की प्रगति की समीक्षा की है। उनका यह अध्ययन रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री ए में प्रकाशित हुआ था तथा इसे तत्कालीन विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) और अब भारत सरकार के अनुसन्धान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) द्वारा रामानुजन फैलोशिप द्वारा समर्थित किया गया था।