केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कल नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से हिमाचल प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश में केंद्रीय पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईपीईटी) के 3 केंद्रों की शुरुआत की। उनके  द्वारा राष्ट्र को समर्पित ये तीन नए सीआईपीईटी केंद्र सीएसटीएस बद्दी (हिमाचल प्रदेश), सीएसटीएस, रांची (झारखंड) और सीएसटीएस ग्वालियर (मध्य प्रदेश) हैं।

उन्होंने ने  कहा कि सीआईपीईटी का देश में अपना अलग स्थान है। उन्होंने यह भी कहा कि इन संस्थानों ने 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक खुद को बदला है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों ने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया है। सीआईपीईटी संस्थानों ने न केवल कुशल मैनपावर से बल्कि अनुसंधान और उत्पादन द्वारा भी उद्योग की मदद की।

उन्होंने ने यह भी कहा कि सीआईपीईटी से प्रशिक्षण प्राप्त करके युवाओं को पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में लगभग 100% नौकरियां मिलती हैं। 1968 में चेन्नई में सीआईपीईटी की शुरुआत सेंट्रल प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टूल इंस्टीट्यूशन के रूप में की गई थी। उस समय सीआईपीईटी के तहत केवल सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम ही थे, लेकिन आज पाठ्यक्रमों की संख्या बढ़ गई है। अब इन संस्थानों में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तर के पाठ्यक्रम भी पढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने  ने कहा कि सरकार ने पेट्रोकेमिकल उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए पिछले 10 वर्षों में सीआईपीईटी की संख्या 23 से बढ़ाकर 47 कर दी है।

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