दैनिक जागरण में प्रकाशित
सिकंदराबाद के निवासी चेतन सिंह ने एक दशक पहले महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए ओम फैशन के नाम एक छोटी कंपनी का पंजीकरण कराया। जब महिलाओं को घर पर ही रोजगार के अवसर मिलने लगे तो महिलाएं बड़ी संख्या में जुड़ना शुरू हो गई। अब महिलाएं सुई के करतब से कपड़ों पर जरी की कढ़ाई कर आर्थिक मजबूती की ओर अग्रसर हो रही हैं। महिलाओं की जरी कारीगरी बड़ी-बड़ी कंपनियों का अपना मुरीद बना रही है। पिछले एक दशक से महिलाएं कपड़ों पर जरी कढ़ाई का रोजगार पाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।
दर्जन भर से अधिक गांवों में एक हजार से अधिक महिलाएं जरी की कारीगरी के हुनर से बड़ी-बड़ी कंपनियों का अपना मुरीद बना रहीं हैं। ड्रेस टाप, शर्ट, शूट, साड़ी, दुपट्टा सहित अन्य परिधानों पर जरी की कढ़ाई की जाती है। किनारी बाजार, चांदनी चौक तथा गांधी नगर से कच्चा माल लाकर घर-घर पहुंचाते हैं और तैयार होने के बाद माल को दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव में बड़ी-बड़ी कंपनियों को पहुंचाया जाता है।
महिलाओं को जरी की कढ़ाई के लिए 300 से 500 रुपये का प्रति पीस मेहनताना दिया जाता है। इन गांवों में होती है जरी कढ़ाई। अंधैल, सलेमपुर, देवली, दरियापुर, तिल बेगमपुर, दोला परवाना समेत एक दर्जन से अधिक गांव में जरी कढ़ाई बड़े पैमाने पर होती है। इन्होंने कहा मैने एक दशक पहले महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कपड़ों पर जरी कढ़ाई का काम शुरू किया था। वर्तमान में एक हजार महिला और 250 पुरुष जरी कढ़ाई कर रहे हैं।
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