अप्रैल 2023 के अंत में, पृथ्वी के चुम्बकीय मंडल (मैग्नेटोस्फीयर) में एक तीव्र भू-चुंबकीय तूफान (जिओमैग्नेटिक स्टॉर्म) के कारण निचले अक्षांशों (लोअर लैटीट्यूड्स) में प्रकाश मंडल (औरोरा) का एक स्पष्ट प्रदर्शन हुआ जो लद्दाख जैसे स्थानों तक फैला हुआ था। खगोलविदों ने सूर्य में तूफान की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए कई अंतरिक्ष दूरबीनों से बहुतरंगदैर्ध्य अवलोकनों का उपयोग किया है। उन्होंने पाया कि सूर्य के निकट होने पर सूत्रीय संरचना (फिलामेंट स्ट्रक्चर) का घूमना इस सौर तूफान के पीछे प्रमुख कारण था जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर इतना तीव्र प्रभाव पड़ा।
सामान्यतः सूर्य आयनित गैस, (प्लाज्मा) और चुंबकीय क्षेत्र को कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन (कोरोनल मास इजेक्शन –सीएमई) के रूप में अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष में उत्सर्जित करता है। जब ये सीएमई हमारी पृथ्वी जैसे ग्रहों के सामने आते हैं, तो वे ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्रों के साथ अंतर्क्रिया करते हैं जिसके परिणामस्वरूप बड़े चुंबकीय तूफान आते हैं। त्वरित कण एवं भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी और अंतरिक्ष में स्थापित मानव प्रौद्योगिकी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इस प्रकार, कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन (कोरोनल मास इजेक्शन –सीएमई) को समझना और उसके बारे में पूर्वानुमान लगाना वैज्ञानिक और व्यावहारिक दोनों महत्व रखता है।
21 अप्रैल, 2023 की आधी रात (भारतीय समयानुसार -आईएसटी) पर सौर डिस्क केंद्र के पास स्थित ‘सक्रिय क्षेत्र 13283’ से बड़े पैमाने पर सीएमई विस्फोट हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सौर चक्र 25 का सबसे तीव्र भू-चुंबकीय तूफान आया। यह सीएमई लगभग 1500 किमी/सेकंड की तेज गति से प्रक्षिप्त हुआ था और 23 अप्रैल को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:30 बजे इसका पृथ्वी के निकट के वातावरण से सामना हुआ । परिणामस्वरूप, एक घंटे बाद ही पृथ्वी पर एक भू-चुंबकीय तूफान शुरू हो गया। तूफान चुंबकीय क्षेत्र के अपने चरम बिंदु पर पहुंच गया और इसे “जी4 गंभीर” के रूप में वर्गीकृत किया गया। परिणामी ध्रुवीय प्रकाश को हानले, लद्दाख में भारतीय खगोलीय वेधशाला में स्थित सभी आकाशीय कैमरों द्वारा कैप्चर किया गया, जो भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान द्वारा संचालित है।
द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स) के शोध में एकत्र किए गए डेटा ने सूर्य में तूफान के स्रोत को पहचानने (ट्रैक) करने में सहायता की।