केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज – वेल्लोर में ‘हीमोफिलिया ए’ के लिए जीन थेरेपी का पहला मानव नैदानिक परीक्षण किया है। उन्होंने ने आगे बताया कि यह कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी-डीबीटी) के इनस्टेम (आईएनएसटीईएम) बेंगलुरु की एक इकाई के सेंटर फॉर स्टेम सेल रिसर्च, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) , वेल्लोर में एमोरी यूनिवर्सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के सहयोग से समर्थित है।
उन्होंने ने कहा कि परीक्षणों में रोगी के स्वयं के हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल में FVIII ट्रांसजीन को व्यक्त करने के लिए एक लेंटिवायरल वेक्टर का उपयोग करने की एक नई तकनीक को तैनात करना शामिल है जो फिर विशिष्ट विभेदित रक्त कोशिकाओं से FVIII को व्यक्त करेगा। दिल्ली में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए, उन्होंने ने उम्मीद जताई कि इस वेक्टर का निर्माण जल्द ही भारत में शुरू होगा और आगे के नैदानिक परीक्षणों के साथ आगे बढ़ेगा।
उन्नत प्रौद्योगिकियों में भारत के प्रयासों पर बोलते हुए, उन्होंने ने कहा, “भारत क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग में वैश्विक मानकों से मेल खाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम न केवल एकमत हैं बल्कि कुछ अर्थों में दूसरों से आगे भी हैं। उन्होंने आगे बताया कि एआई की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए हम विभिन्न स्तरों पर ह्यूमन इंटरफेस का भी उपयोग कर रहे हैं।