भारत का पहला सेप्टिक टैंक सफाई रोबोट, जो हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए एंड-टू-एंड समाधान पेश करता है, देश के विभिन्न कोनों में स्वच्छता अभियान को मजबूत कर रहा है। होमोसेप एटम नामक तकनीक मैन्युअल सफाई विधियों का समाधान करती है और उन्हें रोबोटिक सफाई विधियों में बदल देती है।

इसे आईआईटी मद्रास के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)-टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर (टीबीआई) में स्थापित स्टार्टअप द्वारा विकसित किया गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह भारत के विभिन्न हिस्सों के 16 शहरों तक पहुंच गया है और एक उपकरण पर व्यापक ब्लेड सफाई, ठोस अपशिष्ट डीसिल्टिंग, सक्शन और भंडारण को सशक्त बनाता है।

स्टार्टअप लघु रोबोट विकसित करने में माहिर है, जिसमें भारत का पहला 90 मिमी जल रोबोट और 120 मिमी सीवर रोबोट शामिल है, जो जल-सीवर पाइपलाइनों में प्रदूषण चुनौतियों का समाधान करने के लिए 100 मिमी से काम चौड़े पाइपलाइनों के माध्यम से नेविगेट करने में सक्षम है। डीएसटी से समर्थन के माध्यम से प्राप्त एक्सपोजर ने यह सुनिश्चित किया कि समाधान टिकाऊ और स्केलेबल दोनों थे।

इस प्रमुख उत्पाद के अलावा, सोलिनास की प्रौद्योगिकियों ने पानी की बर्बादी, भूजल प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और दिन-प्रतिदिन की मानवीय चुनौतियों जैसे मैनुअल स्कैवेंजिंग, दूषित पानी पीना, संयुक्त सीवर ओवरफ्लो आदि जैसी कुछ मौजूदा जलवायु चुनौतियों का समाधान किया।

एंडोबोट और स्वस्थ एआई जैसी तकनीकें पाइपलाइन डायग्नोस्टिक टूल के रूप में काम करती हैं जो पानी के प्रदूषण, बर्बादी और सीवर ओवरफ्लो का पता लगाने और उसे कम करने में सक्षम हैं, जिस पर  कोयंबटूर जैसे शहरों में लीक, रुकावट और पेड़ की जड़ों जैसे भूमिगत मुद्दों के कारण अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता है।

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