भारतीय नौसेना के प्रमुख प्रशिक्षण प्रतिष्ठान आईएनएस शिवाजी को 18 दिसंबर 23 को लोनावाला में एक औपचारिक समारोह में दिवंगत वाइस एडमिरल बेनॉय रॉय चौधरी, एवीएसएम, वीआरसी (सेवानिवृत्त) को प्राप्त मूल ‘वीर चक्र’ प्रदान किया गया। वाइस एडमिरल दिनेश प्रभाकर, एवीएसएम, एनएम, वीएसएम (सेवानिवृत्त), आईएनएस शिवाजी के विशिष्ट चेयर मरीन इंजीनियरिंग ने भारतीय नौसेना की ओर से वीएडीएम चौधरी के परिवार के सदस्यों श्री पदिप्त बोस और श्रीमती गार्गी बोस से ‘वीर चक्र’ प्राप्त किया। ‘वीर चक्र’ एक भारतीय युद्धकालीन सैन्य बहादुरी पुरस्कार है जो युद्ध के मैदान, जमीन, हवा या समुद्र में वीरता के कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है। वीएडीएम चौधरी भारतीय नौसेना के एकमात्र तकनीकी अधिकारी हैं, जिन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।

वाइस एडमिरल बेनॉय रॉय चौधरी की वीरता 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान स्पष्ट रूप से सामने आई, जब वह तत्कालीन आईएनएस विक्रांत पर इंजीनियर अधिकारी थे। युद्ध के बीच तैनाती के दौरान, विक्रांत के बॉयलरों में से एक निष्क्रिय हो गया था, जबकि अन्य तीन बॉयलरों का प्रदर्शन निम्न स्तरीय पाया गया था। उन्होंने अपनी टीम के साथ ब्रिटिश ओईएम से किसी भी संभावित सहायता के बिना बेस पोर्ट से दूर समुद्र में कई नवोन्मेषी मरम्मत कार्य किए। इन-हाउस कार्यों में बॉयलर के चारों ओर स्टील बैंड को ठीक करना, अधिक जोखिम वाले सुरक्षा वाल्वों का समायोजन, बॉयलर रूम को मानव रहित छोड़ना, फिर भी दूर से निगरानी करना और कई अन्य तकनीकी उपाय शामिल थे। इन कार्यों के लिए न केवल तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता थी, बल्कि अपने लोगों को जोखिम से भरे कार्य करने हेतु भरोसा दिलाने के लिए सर्वोच्च नेतृत्व गुणों की भी आवश्यकता थी। युद्ध के दौरान उनका योगदान हर तरह से महत्वपूर्ण था। तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल एसएम नंदा ने उन्हें ‘एन इंजीनियर पार एक्सीलेंस’ की उपाधि दी। उनकी बहादुरी, देशभक्ति और समर्पित सेवा विभिन्न महत्वपूर्ण उपलब्धियों का प्रमाण है, जिससे उन्हें 1971 के युद्ध में उनके वीरतापूर्ण कार्यों के लिए ‘वीर चक्र’ प्रदान किया गया।

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