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ग्रामीण विकास मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने संयुक्त रूप से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) की कृषि सखियों का प्रशिक्षण शुरू किया।  इस पहल का उद्देश्य नोडल संस्था के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण के अधीनस्थ कार्यालय, राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र (एनसीओएनएफ ) द्वारा चरणबद्ध तरीके से 50,000 कृषि सखियों को प्रशिक्षित और प्रमाणित करना है। 5 दिवसीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए एनसीओएनएफ द्वारा प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कर अंतिम समीक्षा के लिए राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (एमएएनएजीई ) को भेज दिया गया है।

ग्रामीण आजीविका के अतिरिक्त सचिव श्री चरणजीत सिंह ने सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन लाने में सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों की भूमिका पर प्रकाश डाला और आगे बढ़ने होने वाले अभिसरण पर दोनों मंत्रालयों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि गांवों को “समृद्धि गांव” और एसएचजी सदस्यों को लखपति बनाने और प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए दोनों मंत्रालयों के लिए प्राकृतिक खेती पहल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

संयुक्त सचिव, ग्रामीण आजीविका, सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि प्रयोगशाला से खेत तक प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण महत्वपूर्ण है और सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) प्रयोगशाला से खेत तक प्रौद्योगिकी को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सीआरपी प्राकृतिक खेती के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

एसएचजी की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपनी विभिन्न योजनाओं को एक साथ लाने का निर्णय लिया है। इस के लिए, एमएएनएजीई, एमोएएंडएफ डब्ल्यू द्वारा कृषि सखियों को पैरा-एक्सटेंशन वर्कर्स के रूप में प्रमाणित करने के लिए 30 अगस्त 2023 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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