एक नए अध्ययन के अनुसार भूकंप की सभी प्रक्रियाएं, जिनमें अपेक्षाकृत छोटी प्रक्रियाएं भी शामिल हैं , आयनमंडल में अपना प्रभाव छोड़ती हैं क्योंकि वे भू-चुंबकत्व और अदृश्य ज्यामितीय रेखाएं (लाइन-ऑफ-साइट ज्योमेट्री) जैसे कारकों के साथ-साथ भूकंपीय तरंगों समेत आयनमंडलीय आयनोस्फेरिक विक्षोभों ( कोसेस्मिक आयनोस्फेरिक पर्टर्बेशन्स – सीआईपी) के आयाम और अवधि को प्रभावित करती हैं। यह खोज अंतरिक्ष से भूकंप स्रोत प्रक्रियाओं का अवलोकन करने में सहायता कर सकती है जो अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों का उपयोग करके भूकंप के पूर्वसंकेतों (प्रीकर्सर्स) को समझने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
ब्रह्मांडीय ऊर्ध्वाधर क्रस्टल हलचलें वायुमंडल में ध्वनिक तरंगों (एकॉस्टिक वेव्स -एडब्ल्यूएस ) को उत्तेजित करती हैं। यह तरंगें ऊपर की ओर फैल कर आयनमंडल तक पहुंचती हैं, जिससे पृथ्वी की सतह पर स्थित वैश्विक संचार उपग्रह प्रणालियों (ग्राउंड ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम -जीएनएसएस) के ग्राही उपकरण (रिसीवर) और उपग्रहों को जोड़ने वाली अदृश्य रेखाओं ( लाइन-ऑफ-साइट) के साथ इलेक्ट्रॉनों की संख्या में गड़बड़ी पैदा होती है। इन विक्षोभों को कोसेस्मिक आयनोस्फेरिक पर्टर्बेशन (सीआईपी) कहा जाता है। ऐसा निकट-क्षेत्र वाला सीआईपी सामान्यतः स्रोत के 500-600 किमी के भीतर होता है। पिछले अधिकांश अध्ययनों में प्रत्यक्ष ध्वन्यात्मक तरंगों (एडब्ल्यूएस) के लिए अधिकतम ऊर्ध्वाधर विस्थापन पर बिंदु स्रोतों का अनुमान लगाया गया था और ऐसे निकट-क्षेत्र के सीआईपी को सतह से एकल ध्वनिक पल्स मानकर मॉडल किया गया था। हालाँकि, बड़े भूकंपों में सैकड़ों किलोमीटर तक फैले कई भ्रंश खंडों का टूटना भी शामिल होता है और फिर बड़े भूकंपों के लिए; ऐसी एकल स्रोत धारणा अनुपयुक्त हो सकती है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ जिओमैग्नेटिज्म – आईआईजी) के वैज्ञानिकों ने अपेक्षाकृत छोटे भूकंपों ( अर्थात तात्कालिक क्षमता (मोमेंट मैग्निट्यूड – एमडब्ल्यू) 8 से कम) के लिए इस धारणा को सत्यापित करने के अपने प्रयास में, 2023 फरवरी को तुर्किये में आए भूकंप के निकट- क्षेत्र वाले सीआईपी का विश्लेषण किया। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि अपेक्षाकृत छोटे भूकंपों से उत्पन्न आयनोस्फेरिक गड़बड़ी में गलती के साथ कई स्रोतों का योगदान भी हो सकता है। 6 फरवरी 2023 को, तुर्की-सीरिया सीमा के पास दक्षिणी तुर्की में एमडब्ल्यू 7.8 (ईक्यू1) का विनाशकारी भूकंप आया, जो भूमि पर अंकित की गई सबसे बड़ी स्ट्राइक-स्लिप घटनाओं में से एक है। इसके लगभग 9 घंटे बाद ईक्यू 1 के उत्तर में एमडब्ल्यू 7.7 (ईक्यू 2) का भूकंप आया। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन में ईक्यू1 और ईक्यू2 द्वारा उत्पन्न सीआईपी का विश्लेषण करते हुए, पहली बार पता यह चला कि कोसेस्मिक आयनोस्फेरिक पर्टर्बेशन (सीआईपी) के अलग-अलग समय अंतराल के साथ कई स्रोतों वाले उप (सब)-सीआईपी के संयोजन के कारण विभिन्न उपग्रह-केन्द्रों के जोड़ों के लिए विभिन्न प्रकार के आयाम और अवधि दिखाते हैं।
उन्होंने विस्तार से बताया कि इन कई स्रोतों से ध्वनिक तरंगों (एडब्ल्यू) के हस्तक्षेप से भूकंप के केंद्र से अलग-अलग अज़ीमुथ में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) स्टेशनों पर गड़बड़ी के आयाम और अवधि में अंतर होता है।