न्यूज18 में प्रकाशित
रांची की वन्या वत्सल युवाओं की उस भीड़ से बिल्कुल अलग है। वो कुछ अलग करना चाहती थी खुद के लिये और महिलाओं के लिये। उसने ने सालाना 28 लाख रुपये की नौकरी का त्याग करते हुये आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाया है। उन्होने ने एक कंपनी की शुरुआत करते ऑर्गेनिक सैनेटरी पैड्स का काम शुरू किया है। ये पैड्स पूरी तरह से इको फ्रेंडली है।
महिलाओं के लिये हर माह एक बार ऐसा समय आता है, जब वो एक ऐसी पीड़ा से गुजरती हैं। जो बयां नहीं की जा सकती, वैसे तो बाजार में कई तरह के सैनेटरी पैड्स उपलब्ध थे, पर उसने ऑर्गेनिक पैड्स की परिकल्पना की और उसे साकार किया। उसने IIM लखनऊ से MBA की डिग्री हासिल की ओर उसने आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार किया। उसने सबसे पहले इलारिया इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई और फिर एक ऐसे सैनेटरी पैड्स का निर्माण किया जो प्लास्टिक रहित मतलब इको फ्रेंडली तैयार की गई। वन्या सैनेटरी पैड्स को लेकर समाज की मानसिकता को बदलना चाहती है।
इलारिया के नाम से सैनेटरी पैड्स के निर्माण में दो स्थानीय आदिवासी महिलाओं को भी रोजगार का नया अवसर प्रदान किया है। ये दोनों ही महिलाएं इससे पहले लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा का काम करती थीं आज वे सम्मान के साथ रोजगार कर ही हैं। इन महिलाओं की मानें तो अब उनके पास अपने परिवार के लिये पैसे भी हैं और समय भी।
उसका कहना है की रोजगार मांगने से अच्छा है खुद को रोजगार देने लायक बनाना. इसी कथन को साकार कर रही है वन्या. वन्या इस बात को साबित करने में लगी है कि खुद के दम पर भी उस मुकाम को हासिल किया जा सकता है जो आपका सपना है. बस एक छोटी सी शुरुआत करने की जरूरत है।