दैनिक भास्कर के अनुसार
जिले की 5200 महिलाओं ने खुद के बूते दूध डेयरी का व्यवसाय स्थापित किया है। इन महिलाओं ने आत्मनिर्भरता के साथ 100 गांवों में दूध संग्रहण केंद्र तक खोले हैं। महिलाओं ने दो साल में 37 करोड़ टर्नओवर की आशा मिल्क प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खड़ी कर दी।
खास बात यह है कि इस कंपनी को महिलाएं ही चलाती हैं आज की महिलाएं चूल्हे चौके तक ही खुद सीमित न रखकर इतनी आगे बढ़ चुकी हैं कि हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही है।
जिले की कुछ ऐसी महिलाओं की सफलता की कहानी अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई है। एक महिला प्रति महीने 7 से 10 हजार रुपए कमा रही है। अब 4 हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई है। इस कंपनी के माध्यम से महिलाओं को प्रति लीटर दूध पर 1 रुपए की अतिरिक्त आय होती है।
सेंटर पर दूध बेचने वाली महिलाओं को सीधे बैंक में ही भुगतान होता है। वनकर्मी अंजू चौहान बिना झिझक व डर के पकडऩे में माहिर हैं। अब तक दो हजार से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं। जीव-जंतुओं को पकड़ने के हुनर को देख वन विभाग ने भी इसके लिए अंजू चौहान को विशेष प्रशिक्षण दिया और वहां भी सिरोही जिले का नाम रोशन किया।
वन विभाग ने जयपुर में अंजू को सम्मानित किया। वन रक्षक की नौकरी के साथ वह सांपों को बचाने का भी काम कर रही हैं। पिछले पांच साल से सांपों व अजगर की सुरक्षा कर रही है। अंजू चौहान विभागीय ड्यूटी के साथ समय निकालकर सामाजिक सरोकार में भी आगे रहती हैं। जबकि’ अंजू का एक बच्चा थैलेसीमिया से पीड़ित है। बेटे को देख पहले खुद मजबूत बनी। फिर ऐसे ही दूसरे बच्चों के लिए संघर्ष किया।