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ग्राम पंचायत सेलर के सरपंच व समिति में शामिल ग्रामीणों ने गजब का काम किया है। योजनाओं को हकीकत का स्वस्र्प देने की इमानदार कोशिश यहां नजर आती है। गौठान निर्माण के साथ ही समिति के सदस्यों ने सबसे पहले मवेशियों के चारा की व्यवस्था की। सरकारी अनुदान और बजट को लेकर बाट जोहने के बजाय खुद अपनी व्यवस्था की।

आत्म निर्भरता की एक मिशाल कायम किया है। स्ववालंन की दिशा में बेहतर काम इस गौठान में हो रहा है। मवेशियों को सुरक्षित रखने के साथ ही हरा घास खिलाया जाता है। दुग्ध उत्पादन से लेकर नेपियर घास की खेती करने में भी समिति ने कमाल कर दिया है। नेपियर घास से गौठान हरा भरा दिखाई दे रहा है। जैविक खाद का उत्पादन भी गौठान में हो रहा है।

आत्म निर्भर भारत योजना और नरवा,गस्र्वा,घुरवा और बाड़ी योजना का मिलाजुला प्रतिबिंब सेलर के गौठान में नजर आता है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अब प्रदेश में जोर पकड़ते नजर आ रही है। योजना के पीछे सीएम और योजना बनाने वालों ने जो सपना देखा है उसे धरातल पर उतारने का काम कहीं हो रहा है तो वह सेलर का गौठान है।

गौठान के एक हिस्से में तकरीबन तीन एकड़ में नेपियर घास की खेती करनी शुरू की। शुरूआत में तकलीफ भी उठाई। मेहनत रंग लाने लगी है। गौठान के एक हिस्से में नेपियर की हरियाली छाई हुई है। लहलहाती हरियाली देखकर मन को सुकून मिलता है। मवेशियों चारा की व्यवस्था से शुरू हुआ गौठान आज स्वावलंबी बन गया है।

गौठान में दिनभर रहने वाले मवेशियों को हरा चारा खिला रहे हैं। इसके अलावा प्रतिदिन दो से तीन क्विंटल नेपियर घास की बिक्री भी कर रहे हैं। इसके लिए प्रति क्विंल 300 स्र्पये कीमत तय की गई है। गौठान में इकठ्ठा गोबर से जैविक खाद बना रहे हैं। रासायनिक खाद का कम प्रयोग करने और अधिक से अधिक जैविक खाद उपयोग में लाने अभियान चला रहे हैं। जैविक खाद की बिक्री भी कर रहे हैं।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सेलर गौठान के लिए तीन महिला समूहों का चयन किया गया है। वर्तमान में यहां जैविक खाद के अलावा नेपियर घास उगाई जा रही है। आने वाले दिनों में बकरी, बतख और मछली पालन किया जाएगा। साथ ही बाड़ी के माध्यम से सब्जी भी उगाने की योजना है। इसे जल्द मूर्तरूप दिया जाएगा। जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है।

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