केंद्रीय आयुष और बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज सिलचर में क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आरआरआईयूएम) के नए अत्याधुनिक परिसर का उद्घाटन किया। नया खोला गया संस्थान यूनानी चिकित्सा पर पूर्वोत्तर में पहला ऐसा केंद्र है – जो आयुष प्रणालियों के बीच एक पारंपरिक औषधीय अभ्यास है। 3.5 एकड़ के क्षेत्र में फैला नया परिसर ₹48 करोड़ के निवेश से बनाया गया है। इस परिसर का विकास भारत सरकार के एक उद्यम – राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम (एनपीसीसी) द्वारा किया गया था। इसे केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम) को सौंप दिया गया, जो भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
इस अवसर पर बोलते हुए उन्होने ने कहा, “चिकित्सा की आयुष प्रणाली ने महामारी के दौरान लाखों लोगों को लाभान्वित करने के सिद्ध परिणामों के बाद एक बार फिर से लोगों के बीच इसकी स्वीकार्यता को फिर से बढ़ा दिया है। लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में चिकित्सा की आयुष प्रणाली की प्रभावशीलता एक सिद्ध तथ्य है, इसलिए हम एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली पर काम कर रहे हैं, जहां आयुष की पारंपरिक औषधीय पद्धतियों के साथ समकालीन चिकित्सा का सबसे अच्छा पूरक हो सकता है।
आगे जोड़ते हुए, उन्होने ने कहा, “यूनानी न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक दवाओं में से एक है। यह बहुत गर्व की बात है कि यूनानी चिकित्सा पर यह अत्याधुनिक संस्थान अब सिलचर से काम कर रहा है ताकि लोगों को प्रभावी उपचार प्राप्त करने और जीवन की गुणवत्ता को फिर से हासिल करने में मदद मिल सके। यूनानी चिकित्सा का मूल विश्वास इस सिद्धांत पर काम करता है कि मानव शरीर की अपनी स्वयं की उपचार शक्ति होती है जिसे बढ़ावा देने की आवश्यकता होती है। इस दवा का प्रमुख लाभ यह है कि यह हर्बल उपचारों का उपयोग करके रोगों की रोकथाम और उपचार को संबोधित करती है।