केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू, जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता और जनजातीय कार्य एवं जल शक्ति राज्य मंत्री श्री बिश्वेश्वर टुडू उपस्थित थे।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन पूरे देश खासकर आदिवासी समाज के लिए बेहद अहम दिन है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप आज यह राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान अस्तित्व में आ रहा है। देश में कई आदिवासी अनुसंधान संस्थान हैं, लेकिन आदिवासी समाज की कई विविधताओं को जोड़ने वाली कोई राष्ट्रीय कड़ी नहीं थी और श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार बनाया जा रहा यह संस्थान वह कड़ी बन जाएगा।
उन्होने ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी ने भी आजादी के बाद पहली बार आदिवासी गौरव दिवस की घोषणा की और मनाया। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, श्री मोदी ने आदिवासी समाज के समग्र विकास के लिए वनबंधु कल्याण योजना के रूप में ऐसी योजना शुरू की, जिससे व्यक्तियों, गांवों और क्षेत्रों का समानांतर विकास हुआ। आदिवासी समाज तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक व्यक्ति, गांव और क्षेत्र का पूर्ण विकास नहीं हो जाता। श्री मोदी ने पहली बार वनबंधु कल्याण योजना को गुजरात में धरातल पर उतारा था और आजादी के बाद पहली बार किसी राज्य ने आदिवासी समाज को संवैधानिक अधिकार दिया था, तो उसे श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने दिया था। वनबंधु कल्याण योजना सभी के विकास को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी, समावेशी और सर्व-समावेशी।
उन्होने ने कहा कि देश में जल, जंगल, जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कला, संस्कृति, भाषा और परंपरा से जुड़े कई आदिवासी पारंपरिक कानून हैं, जिन पर शोध की जरूरत है. कोई भी आदिवासी कल्याण कानून इन कानूनों को वर्तमान कानून के साथ तालमेल बिठाए बिना लागू नहीं किया जा सकता है। इन सभी विषयों पर शोध राष्ट्रीय स्तर पर ही किया जा सकता है और इस शोध को राष्ट्रीय मान्यता भी मिलेगी।
उन्होने ने कहा कि यह संस्थान विभिन्न विषयों पर अनुसंधान और मूल्यांकन करेगा, कर्मचारियों का प्रशिक्षण और अन्य संस्थानों की क्षमता निर्माण करेगा, डेटा एकत्र करेगा और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अच्छी प्रथाओं को भी बढ़ावा देगा. यह आदिवासी त्योहारों को उनकी मूल भावना को संरक्षित करते हुए उन्हें आधुनिक दृष्टिकोण देकर लोकप्रिय बनाने का भी काम करेगा। यह संस्थान श्री मोदी द्वारा परिकल्पित जनजातीय संग्रहालयों की विविधता को बनाए रखने पर भी कार्य करेगा। यह शोध संस्थान एक तरह से संपूर्ण आदिवासी समाज के विकास का खाका तैयार करेगा। यह शोध संस्थान आगामी 25 वर्षों के लिए आदिवासी विकास की रीढ़ की हड्डी बनने जा रहा है।