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भूतलाका गांव देश का ऐसा दूसरा ऐसा गांव बन गया है, जिसके हर घर के बाहर बेटी के नाम की अब नेमप्लेट है । इस गांव के हर घर की पहचान बेटी के नाम से होगी। स्वामित्व योजना से प्रभावित होकर सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन ने घरों के बाहर बेटियों की नेमप्लेट लगाने का अभियान शुरू किया गया। इससे पहले किरूरी गॉंव देश का पहला ऐसा गॉंव है जहॉं घर के बाहर नेमप्लेट लग चुकी हैं ।

सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन ने हरियाणा के नूंह (मेवात) जिले के तीन गांवों का चयन किया था , जिसमें हर घर के बाहर बेटियों की नेमप्लेट लगेगी। ये काम 2015 से चल रहा है और अभी तक करीब 12 हजार लोगों के घर बेटियों के नाम की नेमप्लेट लगाई जा चुकी है, लेकिन सकरकर की स्वामित्व योजना से प्रेरणा हासिल कर फाउंडेशन ने हर गांव को बेटियों को समर्पित करने का अभियान छेड़ा है।

इस योजना के तहत गांवों में लाल डोरे के भीतर आने वाली प्रापर्टी की डीड हो सकेगी और संपत्ति का मालिकाना हक मिल सकेगा। इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए फाउंडेशन ने गांवों को बेटियों के नाम से पहचान दिलाने का बीड़ा उठाया है।

पांच साल पहले वर्ष 2015 में सभी जगह यह अभियान शुरू हुआ था, जिसके बाद बाकी संस्थाओं के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग हरियाणा ने भी इस मॉडल को अपनाया और कन्या शिशु के नाम की नेमप्लेट लगाना शुरू किया, लेकिन सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन अब बेटियों को समर्पित गांवों की एक फेहरिस्त तैयार करेगा, यह बहुत गर्व की बात है कि अब गॉंव बेटियों को स्वामित्व की तरफ़ ले जा रहा है, अब कोशिश रहेगी कि इस मॉडल को भारत सरकार हमारे दूसरे अभियानों की तरह पॉयलट प्रोजेक्ट की तरह लागू करे ।

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