आयुष मंत्रालय रुमेटॉयड अर्थराइटिस के उपचार में आयुर्वेद की प्रभावशीलता की जांच करने के लिए विश्व के प्रथम मल्टीसेंटर फेज-III नैदानिक परीक्षण का संचालन कर रहा है। नैदानिक परीक्षण मानव उपयोग के लिए फार्मास्यूटिकल के लिए तकनीकी आवश्यकताओं के सामंजस्य के लिए अंतरराष्ट्रीय परिषद के सख्त नियमों – उत्कृष्ट परीक्षण प्रक्रिया (आईसीएच-जीसीपी) के अनुरूप किया जाएगा और इसकी निगरानी अमेरिका के लॉस एंजिल्स स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के विख्यात रुमेटॉलॉजिस्ट डॉ. डैनिएल इरिक फुस्र्ट द्वारा की जा रही है।

यह परियोजना संधिशोथ के प्रबंधन में आयुर्वेद की प्रभावकारिता पर पहले बहु-केंद्र चरण III डबल ब्लाइंड डबल डमी नैदानिक ​​परीक्षणों में से एक है। यह आर्य वैद्य फार्मेसी (कोयम्बटूर) लिमिटेड से संबद्ध एक शोध संस्थान एवीपी रिसर्च फाउंडेशन और आयुष मंत्रालय के तहत भारत सरकार की एजेंसी सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद (सीसीआरएएस) द्वारा संचालित किया जाएगा।

डॉ. सोमित कुमार, निदेशक, एवीपी रिसर्च फाउंडेशन और इस अध्ययन के सह-अन्वेषक ने कहा, “एएमआरए, एक डबल-ब्लाइंड डबल डमी रैंडमाइज्ड क्लिनिकल परीक्षण, रुमेटोलॉजी में आयुर्वेद अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर ले जा रहा है।

डॉ. एमएन शुभश्री, अनुसंधान अधिकारी, सेंट्रल आयुर्वेद रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर मेटाबोलिक डिसऑर्डर, बेंगलुरु, “अध्ययन मई 2022 में शुरू होने की उम्मीद है और अगले दो वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है। नमूने का आकार 48 रोगियों से लगभग 5 गुना बढ़कर 240 हो गया है। तीन स्थानों पर नैदानिक ​​परीक्षण किए जाएंगे; कोयंबटूर में एवीपी रिसर्च फाउंडेशन, बेंगलुरु में सेंट्रल आयुर्वेद रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर मेटाबोलिक डिसऑर्डर और मुंबई में राजा रामदेव आनंदीला सेंट्रल आयुर्वेद रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर।

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