हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और शिमला जिलों में सतलुज नदी पर स्थित 210 मेगावाट क्षमता वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना के प्रथम चरण के लिए 1810.56 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस परियोजना से प्रतिवर्ष 758.20 मिलियन विद्युत यूनिट का उत्पादन होगा। इस परियोजना में भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार की सक्रिय भागीदारी होगी।

इस परियोजना से संबंधित समझौता ज्ञापन पर पिछले वर्ष नवंबर में आयोजित ‘राइजिंग हिमाचल, ग्लोबल इन्वेस्टर मीट’ के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ हस्ताक्षर किए गए थे और भारत सरकार इस परियोजना में आधारभूत विकास के ढांचे के लिए 66.19 करोड़ रुपये का अनुदान उपलब्ध कराकर सहायता प्रदान कर रही है और इससे बिजली की दरों में कमी लाने में मदद मिली है।

इस विद्युत परियोजना का प्रथम चरण 62 महीनों की अवधि में शुरू हो जाएगा और इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली से ग्रिड स्थायित्व में मदद मिलेगी और बिजली की आपूर्ति में सुधार होगा। ग्रिड को महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराने के अलावा वातावरण में प्रतिवर्ष उत्सर्जित होने वाली 6.1 लाख टन कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा में भी इस परियोजना से कमी आएगी और इससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।

इस परियोजना से इसके आसपास लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। जिससे राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। इस परियोजना की समय अवधि 40 वर्ष है और इससे हिमाचल प्रदेश को 1140 करोड़ रुपये मूल्य की निःशुल्क बिजली मिलेगी। इस परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों को अगले 10 वर्ष तक प्रतिमाह 100 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी।

निगम ने वर्ष 2023 तक सभी स्रोतों से अपने कुल स्थापित क्षमता का 5000 मेगावाट उत्पादन का आंतरिक वृद्धि लक्ष्य रखा है। इसमें वर्ष 2030 तक 12000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 25000 मेगावाट विद्युत उत्पादन की परिकल्पना की गई है।
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