भारत के निर्यात में लगातार वृद्धि हो रही है। उल्लेखनीय है कि भारत का जिंस व्यापार जनवरी 2022 में 23.69 प्रतिशत बढ़कर 34.06 अरब डॉलर हो गया, जो जनवरी 2021 में 27.54 अरब डॉलर था। जनवरी 2020 में 25.85 अरब डॉलर की तुलना में इसने 31.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।

भारत का जिंस व्यापार 2021-22 (अप्रैल_जनवरी) में 46.53 प्रतिशत बढ़कर 335.44 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) में यह 228.9 बिलियन डॉलर था। इसने 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) में 264.13 बिलियन डॉलर की तुलना में 27.0 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की।

भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2014 से कई सक्रिय और प्रभावी कदम उठाए हैं। एक नई विदेश व्यापार नीति (एफ़टीपी) 2015-20 1 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई थी। नीति ने अन्य बातों के साथ-साथ पहले की निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं को युक्तिसंगत बनाया।

वस्तुओं के निर्यात में सुधार के लिए भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) और सेवाओं के निर्यात को बढ़ाने के लिए भारत से सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस) जैसी दो नई योजनाएं शुरू की गईं। इन योजनाओं के तहत जारी ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप को पूरी तरह से हस्तांतरणीय बनाया गया था।

विदेश व्यापार नीति (2015-20) की मध्यावधि समीक्षा (2017) की गई और सुधारात्मक कदम उठाए गए। COVID-19 महामारी की स्थिति के कारण, विदेश व्यापार नीति (2015-20) की अवधि को एक वर्ष अर्थात 31-03-2022 तक बढ़ा दिया गया है। विस्तार किया गया। रसद क्षेत्र के एकीकृत विकास के लिए वाणिज्य विभाग में एक नया रसद प्रभाग बनाया गया था।

निर्यातकों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज समकारी योजना 1.4.2015 से पोतलदान पूर्व और पोतलदान पश्चात रुपये पर लागू की गई है।

सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अनुकूलन कार्यक्रमों, परामर्श सत्रों, व्यक्तिगत सुविधा आदि के माध्यम से विदेशी व्यापार के विभिन्न पहलुओं पर निर्यातकों सहित नए और संभावित निर्यातकों तक पहुंचने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रवेश करने में सक्षम बनाने में मदद की है। भारत से निर्यात को बचाने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से, एक निर्यात बंधु योजना को लागू करना शुरू किया।

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