प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज लगभग 10,750 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) को जोड़ने के लिए इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएनएसटीएस) के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) चरण- II पर योजना को मंजूरी दे दी। संचरण लाइनें और लगभग। सबस्टेशनों की 27,500 मेगा वोल्ट-एम्पीयर (एमवीए) परिवर्तन क्षमता। यह योजना सात राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में लगभग 20 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा (आरई) बिजली परियोजनाओं के ग्रिड एकीकरण और बिजली निकासी की सुविधा प्रदान करेगी।
रजिस्टर करें और 1000 रुपये के अमेज़न वाउचर जीतने का मौका पाएं। प्रतिनिधि छवि इस योजना को रुपये की कुल अनुमानित लागत के साथ स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। 12,031.33 करोड़ और केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) @ 33 प्रतिशत परियोजना लागत यानी रु। 3970.34 करोड़। ट्रांसमिशन सिस्टम वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल की अवधि में बनाए जाएंगे। केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन शुल्क की भरपाई करने में मदद करेगी और इस तरह बिजली की लागत को कम रखेगी। इस प्रकार, सरकारी सहायता से अंततः अंतिम उपयोगकर्ताओं – भारत के नागरिकों को लाभ होगा।