माननीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कल शाम PHDCCI के साथ संवाद सत्र में कहा कि उत्पादन में तेजी से वृद्धि के परिणामस्वरूप भारत विश्व में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। देश दुनिया में स्पंज आयरन या डीआरआई का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ साथ चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उपभोक्ता बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रगतिशील दृष्टिकोण और भारत सरकार की नीतियों के कारण मांग में कोई कमी नहीं है।
इस्पात मंत्रालय ने भारतीय इस्पात क्षेत्र को आकार देने और चलाने के लिए अपने दृष्टिकोण को परिभाषित किया है। वैश्विक सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का पालन करते हुए प्रतिस्पर्धी, कुशल, पर्यावरण के अनुकूल इस्पात उद्योग के माध्यम से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए लगभग 160 मिलियन टन स्टील की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र के समग्र विकास के लिए समय समय पर महत्वपुर्ण कदम उठाते रहा है I
अपेक्षित विकासात्मक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए देश में विशेष प्रकार के इस्पात के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 05 श्रेणियों के स्पेशलिटी स्टील के आयात को कम करने तथा क्षमता बढ़ाने के लिए 6,322 करोड़ रुपये की PLI स्कीम की मंजूरी प्रदान की है । इस योजना से लगभग 40,000 करोड़ के निवेश और विशेष इस्पात के लिए 25 मीट्रिक टन की क्षमता वृद्धि की उम्मीद है। इस योजना से लगभग 5,25,000 लोगों को रोजगार मिलेगा जिनमें से 68,000 लोगो के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे I
माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने पिछले महीने आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को आत्मसात करने के लिए PM गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान को मंजूरी दी है, जिसके तहत लोजिस्टिक लागत को कम करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए 100 लाख करोड़ रुपये परिव्यय होगा । इस प्लान का सबसे ज्यादा फायदा स्टील उत्पादकों को ही होगा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हमारा घरेलू उत्पाद मजबूती से टक्कर देगा।