सरकार ने जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए दो उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ किया। ये उत्कृष्टता केंद्र जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) और आर्ट ऑफ़ लिविंग (एओएल) के बीच सहयोग से शुरू किये जा रहे हैं। आर्ट ऑफ़ लिविंग के गुरुदेव श्री श्री रविशंकर इस अवसर पर उपस्थित थे। ऐसी पहली पहल के तहत झारखंड के 5 जिलों, 30 ग्राम पंचायतों और 150 गांवों में पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे ताकि इन संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को जनजातीय कानूनों और नियमों के बारे में जागरूक बनाया जा सके।
इसका उद्देश्य ऐसे युवकों को उनके कल्याण की विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूक करना है ताकि वे इन योजनाओं का लाभ ले सकें। इस मॉडल के तहत जनजातीय युवकों के बीच से ही युवा स्वयंसेवियों को व्यक्ति विकास प्रशिक्षण प्रदान कर उनमें सामाजिक जिम्मेदारी की भावना का सृजन करना है ताकि वे जनजातीय नेताओं के तौर पर अपने समुदाय के लिए काम करें और लोगों में जागरूकता का प्रसार कर सकें। दूसरा प्रयास महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 10,000 जनजातीय कृषकों को सतत प्राकृतिक कृषि के बारे में प्रशिक्षण देना है जो गौ-आधारित कृषि तकनीकों से संबद्ध है। ऐसे किसानों को जैविक कृषि संबंधी प्रमाण पत्र हासिल करने में मदद दी जाएगी और उनके लिए उपयुक्त विपणन अवसरों को भी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे वे आत्मनिर्भर किसान बन सकें।
इस तरह का कार्यक्रम कई गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। ये संगठन इस क्षेत्र में सराहनीय काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये आर्ट ऑफ लिविंग के पास स्वयंसेवकों का एक विशाल नेटवर्क है। इसके तहत पीआरआई के चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच जनजातीय लोगों के लिए उपलब्ध विभिन्न जनजातीय अधिनियमों और नियमों के बारे में जागरूकता पैदा की जायेगी, जिससे ये प्रतिनिधि इन योजनाओं का लाभ जनजातीय लोगों को दिलाने में मदद कर सकेंगे। जनजातीय युवकों को स्वयंसेवकों के रूप में व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देकर, उनके बीच सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करने और इस तरह से जनजातीय नेतृत्व तैयार करने के लिए यह मॉडल डिज़ाइन किया गया है। यह जनजातीय नेता अपने समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए काम करेंगे।