चेन्नई – मैसूर शताब्दी एक्सप्रेस दक्षिण रेलवे की पहली एकीकृत प्रबंधन प्रणाली सर्टिफाइड ट्रेन बन गई है। पीआइबी के मुताबिक इस सुविधा के साथ यह भारतीय रेलवे की पहली शताब्दी, जबकि भारतीय रेलवे की दूसरी मेल / एक्सप्रेस ट्रेन भी बन गई है। मैसूर-चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस को पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों के रख रखाव, बेहतर इस्तेमाल और आरामदायक यात्रा की पेशकश के लिए एकीकृत प्रबंधन प्रणाली (IMS certified) प्रमाणन प्राप्त हुआ है।
ट्रेन नंबर 12007 डा. एमजीआर चेन्नई सेंट्रल मैसूर जंक्शन, 12008 डा. एमजीआर चेन्नई सेंट्रल शताब्दी एक्सप्रेस सेवा आईएसओ प्रमाणन के साथ आईएमएस प्रमाणन पाने वाली दक्षिणी रेलवे की पहली ट्रेन सेवा बन गई है। यह प्रमाणन एजेंसी द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुपालन के विधिवत सत्यापन के बाद दिया गया है। इस ट्रेन में जो सुविधाएं हैं उसमें डीजल से चलने वाले पावर कार कोच, बायोडाइजेस्टर शौचालय समेत 100 फीसद यात्री सहूलियतें शामिल हैं। ट्रेन का प्राथमिक रखरखाव चेन्नई डिवीजन के बेसिन ब्रिज कोचिंग डिपो द्वारा किया जाता है।
चेन्नई-मैसूर-चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन 11 मई 1994 को शुरू की गई थी। यह ट्रेन सेवा दक्षिण रेलवे में पहली आईएसओ प्रमाणित ट्रेन है। कोरोना संकट से पहले चेन्नई-मैसूर के बीच शताब्दी सेवा को ट्रेन संख्या 12007/12008 के रूप में चलाया गया था। पहली जुलाई 2009 को इसमें अत्याधुनिक एलएचबी डिब्बों को शामिल किया गया था। मौजूदा वक्त में इसे ट्रेन संख्या 06081 और 06082 (बुधवार को छोड़कर) के रूप में चलाया जाता है। यह एचओजी सिस्टम पर चलती है, जिससे प्रदूषण कम होता है।
इस ट्रेन की खास बात यह भी है कि यह गुणवत्तापूर्ण वातानुकूलन, प्रकाश व्यवस्था एवं अन्य विद्युत सुविधाओं से लैस है। इसमें ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सुविधा है जो पांच चरणों की साफ-सफाई जैसी सहूलियत के साथ उपलब्ध रहती है। यह एलईडी लाइट से लैस है, जिससे ऊर्जा की काफी बचत होती है। दिब्यांगों के लिए इसमें ब्रेल साइनेज सीट इंडिकेशन नंबर लगे हुए हैं। यह वाई-फाई इंफोटेनमेंट सिस्टम से भी लैस है। ट्रेन के शौचालयों में स्वचालित एयर फ्रेशनर भी लगे हुए हैं। उच्च गुणवत्ता वाली आरामदायक सीटों से लैस यह ट्रेन यात्रा का बेहतरीन अनुभव कराती है।