सरकार के तहत कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पुरुष कर्मचारी भी अब बच्चों की देखभाल से संबंधित अवकाश के हकदार होंगे। और ये विशेषाधिकार केवल उन पुरुष कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होगा जो “एकल पुरुष अभिभावक” हैं।

इस श्रेणी में वैसे पुरुष कर्मचारी शामिल हो सकते हैं जो विधुर या तलाकशुदा या अविवाहित हैं और इस कारण एकल अभिभावक के रूप में उन पर बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी है। इस कदम से  सरकारी कर्मचारियों के जीवन यापन को आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रगतिशील होगा ।

इस प्रावधान में थोड़ी और ढील दिये जाने की जानकारी देते हुए उन्होने  ने बताया कि बच्चों की देखभाल से संबंधित अवकाश पर जाने वाला कोई कर्मचारी अब सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति से मुख्यालय छोड़ सकता है।

इसके अलावा, उस कर्मचारी द्वारा छुट्टी यात्रा (एलटीसी) का लाभ उठाया जा सकता है, भले ही वह बच्चों की देखभाल से संबंधित अवकाश पर हो। इस बारे में और अधिक जानकारी देते हुए, उन्होंने बताया कि बच्चों की देखभाल से संबंधित अवकाश की मंजूरी पहले 365 दिनों के लिए 100% सवेतन अवकाश और अगले 365 दिनों के लिए 80% सवेतन अवकाश के साथ दी जा सकती है।

इस संबंध में उठाया एक अन्य कल्याणकारी कदम यह है कि एक दिव्यांग बच्चे के मामले में, चाइल्ड केयर लीव को  बच्चे की 22 वर्ष की आयु तक ही दिए जाने के प्रावधान को हटा दिया गया है और अब किसी भी उम्र के दिव्यांग बच्चे के लिए सरकारी कर्मचारी द्वारा चाइल्ड केयर लीव का लाभ उठाया जा सकता है।

इन सभी फैसलों का मूल उद्देश्य हमेशा एक सरकारी कर्मचारी को अपनी अधिकतम क्षमता के साथ योगदान करने में सक्षम बनाना रहा है। वहीं, भ्रष्टाचार या काम में खराब प्रदर्शन के प्रति कोई ढिलाई या उदारता नहीं बरती जायेगी।

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