केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री आरके सिंह ने श्री आलोक कुमार, विद्युत सचिव,श्री आरएस ढिल्लन, सीएमडी, पीएफसी और विद्युत मंत्रालय और पीएफसी के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में पीएफसी को भारत सरकार द्वारा ‘महारत्न’ का दर्जा प्रदान किए जाने पर शुभकामनाएं दी

भारत सरकार द्वारा राज्य के स्वामित्व वाली पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी) को ‘महारत्न’ का दर्जा प्रदान किया गया, इस प्रकार से पीएफसी को बृहद् रूप से परिचालन और वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त हो चुकी है। वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले लोक उद्यम विभाग द्वारा आज इस संदर्भ में आदेश जारी किया गया। पीएफसी, जिसे 1986 में निगमित किया गया, आज सबसे बड़ी आधारभूत संरचना वित्त कंपनी है, जो ऊर्जा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में विशेष रूप से विद्युत क्षेत्र के लिए समर्पित है।

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री आर के सिंह ने पीएफसी को शुभकामनाएं दी और कहा कि इसे महारत्न का दर्जा प्रदान किया जाना इस बात का परिचायक है कि भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के समग्र विकास में पीएफसी की रणनीतिक भूमिका और इसके उत्कृष्ट प्रदर्शन कोभारत सरकारअपना विश्वास और समर्थन प्रदान करती है।

सरकार द्वारा प्रदान की गई यह नई मान्यता पीएफसी को विद्युत के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी वित्तपोषण की पेशकश करने में सक्षम बनाएगी, जो सभी के लिए 24×7 सस्ती और विश्वसनीय विद्युत उपलब्ध कराने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगी। मंत्री ने कहा कि महारत्न का दर्जा मिलने से पीएफसी को प्राप्त हुई ज्यादा शक्तियां, राष्ट्रीय आधारभूत संरचना पाइपलाइन के अंतर्गत सरकार के वित्तपोषण एजेंडे को आगे बढ़ाने में भी मदद करेगी, 2030 तक 40 प्रतिशत हरित ऊर्जा की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता और 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा परिव्यय के साथ नई संशोधित वितरण क्षेत्र योजना का प्रभावी मॉनेटरिंग और कार्यान्वयन भी संभव हो सकेगा।

पीएफसी को ‘महारत्न’ का दर्जा प्राप्त होने से वित्तीय निर्णय लेते समय पीएफसी बोर्ड को भी बढ़ी हुई शक्तियां प्राप्त होगी। एक ‘महारत्न’ सीपीएसई का बोर्ड, संयुक्त वित्तीय उद्यम और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों के लिए इक्विटी निवेश कर सकता है और साथ ही साथ भारत और विदेशों में विलय और अधिग्रहण भी कर सकता है, जो कि संबंधित सीपीएसई की निवल संपत्ति की 15 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अधीन, एक परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये तक सीमित है।बोर्ड कार्मिक एवं मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं का संरचना निर्माण और कार्यान्वयन भी कर सकता है। वे प्रौद्योगिकी संयुक्त उद्यम या अन्य रणनीतिक गठबंधन में भी शामिल हो सकते हैं।

श्री आरएस ढिल्लन, पीएफसी के सीएमडी ने कहा कि पीएफसी को महारत्न का दर्जा पिछले 3 वर्षों में उसके द्वारा किए गए असाधारण वित्तीय प्रदर्शन के कारण प्राप्त हुआ है। कोविड महामारी होने के बावजूद, पीएफसी वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान विद्युत क्षेत्र में अब तक की सबसे अधिक वार्षिक स्वीकृतियां 1.66 लाख करोड़ रुपये और संवितरण 88,300 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 20210-21 में 8,444 करोड़ रुपये का सर्वाधिक लाभ का गवाह रहा है। करोना के बीच, विद्युत क्षेत्र में नकदी के संकटको टालने के लिए पीएफसी ने लिक्विडिटी इन्फ्यूजन स्कीम (आत्मनिर्भर भारत योजना) के अंतर्गत डिस्कॉम को फंडिंग करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

महारत्न का दर्जा प्राप्त होने के बाद बढ़ी हुई शक्तियों के साथ, पीएफसी आगे चलकर अपने व्यवसाय के विकास में और तेजी लाने हेतु अपने कार्यों में विविधता लाएगा और विद्युत क्षेत्र के समग्र विकास के लिए सरकार के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी स्थिति का लाभ उठाएगा। उन्होंने कहा कि हम निगम के कर्मचारियों और पिछले प्रबंधन के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिनके अथक सहयोग, योगदान और समर्पणके कारण यह महान उपलब्धि प्राप्त हुई है और विद्युत मंत्रालय के प्रति हम दिल से कृतज्ञ हैं जिनके समर्थन के बिना यह मान्यता प्राप्त करना संभव नहीं हो सकता था।

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