रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) कर्मियों को वीरता और उत्कृष्ट सेवा पदक प्रदान किए। समारोह के दौरान तीन राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (विशिष्ट सेवा), आठ तटरक्षक पदक (वीरता) और 10 तटरक्षक पदक (उत्कृष्ट सेवा) सहित कुल 21 पदक प्रदान किए गए। ये पदक आईसीजी के जवानों को उनकी निस्वार्थ सेवा, समर्पण, अनुकरणीय साहस और विषम परिस्थितियों में किए गए वीरतापूर्ण कार्यों के प्रति सम्मान में प्रदान किए गए। और विजेताओं को शुभकामनाएं दीं और विश्वास व्यक्त किया कि इन पुरस्कारों और पदकों से न केवल पुरस्कार विजेताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि ये अन्य आईसीजी जवानों को भी राष्ट्र के हितों की रक्षा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने समुद्री सीमाओं की सुरक्षा बनाए रखने और देश के विशाल समुद्र तट को सुरक्षित रखने में आईसीजी के प्रयासों की सराहना की।
उन्होने ने उनकी ऊर्जा और समर्पण की सराहना करते हुए कहा, आईसीजी, जिसने सिर्फ चार-छह नौकाओं के साथ राष्ट्र के लिए अपनी सेवा शुरू की थी, अब 150 से अधिक जहाजों और 66 विमानों के साथ दुनिया की सबसे अच्छी समुद्री सेनाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि तटरक्षक बल का लगातार बढ़ता कद लोगों में यह विश्वास जगाता है कि राष्ट्रीय समुद्री हितों की सुरक्षा सुरक्षित हाथों में हैं।
इस बात पर जोर देते हुए कि भारत की संस्कृति, साहित्य, व्यापार और अर्थव्यवस्था का समुद्र से गहरा संबंध है, उन्होने ने कहा कि समृद्धि की संभावनाओं के साथ-साथ समुद्र ने विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों को भी पैदा किया है। उन्होंने देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और इसे व्यापक आंतरिक और बाहरी सुरक्षा ढांचे का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बताया। उन्होंने कहा, “भारत के समुद्री क्षेत्र सुरक्षित, संरक्षित और प्रदूषण मुक्त होने चाहिए। यह हमारी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेगा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य और आर्थिक विकास सुनिश्चित करेगा।” उन्होंने कहा कि भारत एक उभरती हुई समुद्री शक्ति है और इसकी समृद्धि काफी हद तक समुद्र पर निर्भर है।
उन्होने ने पड़ोसी देशों को जरूरत पड़ने पर सहायता प्रदान करने के अपने वीरतापूर्ण कार्यों के लिए भी आईसीजी की प्रशंसा की। उन्होंने आईसीजी के अग्निशमन और प्रदूषण प्रतिक्रिया अभियानों- सागर रक्षा-I और सागर रक्षा-II का विशेष उल्लेख किया, जिसने हाल ही में श्रीलंका के तट पर बड़े कच्चे तेल वाहक जहाज ‘न्यू डायमंड’ और कंटेनर पोत ‘एक्सप्रेस पर्ल’ में लगी आग को बुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि समय पर किए गए इन साहसी कार्यों ने आईओआर में बड़ी तबाही को टाल दिया और भारत को एक जिम्मेदार और सक्षम समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित किया है।