किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल ही में वर्चुअल मंच के जरिये ” नैनोमेडिसन: मानव स्वास्थ्य के लिये बायोमॉलिक्यूल, छोटे अणु: बड़े अवसर (एनबीएचएच-2021) पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह डीबीटी स्टार कॉलेज योजना के तत्वावधान में वनस्पति विज्ञान और जीव विज्ञान विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।

 

उद्धाटन सत्र की शोभा मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पी.सी. जोशी और प्रधानाचार्य प्रोफेसर विभा एस चौहान ने बढ़ायी जिन्होनें स्वागत भाषण दिया। डीबीटी स्टार कॉलेज योजना की संयोजक और कार्यक्रम समन्वयक प्रो. अनीता कामरा वर्मा ने सम्मेलन के मूल्यांकन, उसकी विषय वस्तु, उद्देश्यों और नैनोमेडिसन पर सम्मेलन के बाद की कार्यशाला पर चर्चा की। सम्मेलन की सह संयोजक डॉ. रेणु कठपालिया ने प्रोफेसर पी.सी. जोशी को सम्मेलन के औपचारिक उद्घाटन के लिये आमंत्रित किया। शुरुआत में, प्रोफेसर जोशी ने इस तरह के एक प्रासंगिक विषय पर अंतराष्ट्रीय सम्मेलन की अवधारणा और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं को एक जगह लाने के लिये आयोजन समिति को बधाई दी। उन्होंने कॉलेज के द्वारा स्वयं को स्टार कॉलेज के रूप में स्थापित करने और “ए” श्रेणी एनएएसी प्रमाणन पाने के लिए भी बधाई दी। प्रोफेसर जोशी ने स्वीकारा कि आयोजन समिति ने सम्मेलन में दी गयी प्रस्तुतियों से उपलब्ध संसाधनों का पूरा लाभ लिया, वहीं 1.95 के इंपेक्ट फैक्टर के साथ विस्तार के साथ लिखी पांडुलिपियों को सीएसआईआर पत्रिका “इंडियन जर्नल ऑफ बायोकैमिस्ट्री एंड बायोफिजिक्स” में प्रकाशित किया जाना है। उन्होंने महर्षि कणाद द्वारा दी गई ‘नैनो’ या ‘परमाणु – एक छोटा अणु या बिल्डिंग ब्लॉक’ की अवधारणा पर भी जोर दिया।

 

उद्घाटन सत्र के बाद पहला पूर्ण सत्र- रेडिएशन नैनोमेडिसन/नैनोवैक्सीन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रोफेसर वी.एस. चौहान, आर्टुरो फलाशी एमेरिटस साइंटिस्ट, आईसीजीईबी ने “वैक्सीन प्लेटफॉर्म: डिलीवरी एंड रोल ऑफ नैनो टेक्नोलॉजी” पर बहुत ही स्पष्ट और व्यावहारिक बात की। उन्होंने विभिन्न प्रकार के टीकों और इसके घटकों पर चर्चा की और वैक्सीन देने के लिए एक वाहन के रूप में नैनोस्ट्रक्चर को तैयार करने की भूमिका पर जोर दिया।उन्होंने न्यूक्लिक एसिड आधारित वैक्सीन-डीएनए और आरएनए, और मलेरिया के लिए पेप्टाइड-आधारित टीकों और लिपिड नैनोपार्टिकल (एलएनपी) डिलीवरी सिस्टम के बारे में बताया।

 

प्रो. सुनील कृष्णन ने “नैनोमेडिसन के रूप में रेडिएशन थेरेपी और रेडियो-डायग्नोस्टिक्स ” पर बात की, जिसमें अग्नाशय और हेपेटोबिलरी ट्यूमर के प्रभावी उपचार के लिए अमल्गमैटिड गोल्ड नैनोपार्टिकल और विकिरण चिकित्सा की भूमिका का विस्तार से वर्णन किया गया। उन्होने आगे इन निष्कर्षों को मोंटे-कार्लो कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग और सिमुलेशन के साथ प्रमाणित किया।   आईएनएमएएस के महानिदेशक डॉ. ए.के. मिश्रा ने “रेडियोन्यूक्लाइड्स आर नैनो एंड बियॉन्ड: एप्लीकेशन इन ह्यूमन हेल्थ” विषय पर बात की। हमारे विशिष्ट वक्ता शिनजेन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तिमीश वाई ओहूलचांस्की ने दूसरे दिन की पूरे जोश के शुरुआत की और श्रोताओं को “मर्जिंग नैनोटेक्नोलॉजी एंड बायोफोटोनिक्स फॉर इमेजिंग गाइडेड फोटो इंड्यूस्ड थैरेपी ऑर कैंसर” पर जानकारी दी।

 

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से संकाय सदस्यों और आमंत्रित निर्णायकों, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार शोधकर्ताओं के काम का आकलन किया। दिये गये प्रजेंटेशन का आकलन अपने अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले प्रख्यात निर्णायकों के एक पैनल ने किया। प्रोफेसर तापस सेन, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लैंकशायर, यूके, प्रोफेसर रीना सक्सेना किरोड़ी मल कॉलेज और प्रोफेसर टिंकू बसु एमिटी यूनिवर्सिटी ने ध्यान पूर्वक पोस्टर प्रजेंटेशन को देखा। वहीं, डॉ रजनी रानी, ​​आईसीएमआर, डॉ प्रतिमा चौधरी, एमिटी यूनिवर्सिटी, डॉ दूर्बा पाल, आईआईटी रोपड़, डॉ एनके प्रसन्ना, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर और डॉ जीनत इकबाल, जामिया हमदर्द ने मौखिक प्रस्तुतियों का आकलन किया। प्रो. सुमन कुंडू, निदेशक, साउथ कैंपस, दिल्ली विश्वविद्यालय की गरिमामयी उपस्थिति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। उन्होंने मौखिक और पोस्टर प्रजेंटेशन के परिणामों की घोषणा की। संकाय सदस्यों, शोध छात्रों और स्नातक छात्रों को कुल मिलाकर 12 पुरस्कार दिये गये । कान्फ्रेंस के बाद की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें प्रस्तुतकर्ताओं के लघु वीडियो की सहायता से कार्य करने के सिद्धांत और कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया।

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