केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा “सरकार महत्वकांक्षी परिवर्तनकारी कार्यक्रम चला रही है जो आने वाले समय में जनजातीय लोगों की आजीविका के लिए गेम चेंजर साबित होंगे। उन्होने नई दिल्ली में जनजातीय लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख पहलों की शुरुआत, पहला ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर और दूसरा ट्राइफेड और झारखंड के पुरती एग्रोटेक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है।
उन्होने कहा कि अब बिग बास्केट (Big Basket) के जरिए प्राकृतिक वन धन उत्पादों और ट्राइफूड उत्पादों को खरीदा जा सकेगा। इसके लिए ट्राइब्स इंडिया वन धन और बिग बास्केट के बीच इस बारे में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ट्राइब्स इंडिया वन धन बिग बास्केट के साथ मिलकर ऑनलाइन मार्केटिंग का बड़े पैमाने पर विस्तार करेगा। इसके अलावा अन्य जनजातीय उद्यमियों के बीच सीप की खेती को बढ़ावा देने के लिए ट्राइफेड और पुरती एग्रोटेक के बीच समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। इन दो नई पहलों का कार्यान्यवन इस साल 2 अक्टूबर से होगा और जनजातीय लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा।
ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच हुए समझौते के तहत बिग बास्केट प्लेटफॉर्म के जरिए प्राकृतिक वन धन उत्पादों का प्रचार और बिक्री होगी। ट्राइफेड बिग बास्केट के साथ जुड़कर अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर, विशेषज्ञता और पहुंच का लाभ उठाकर पूरे देश में ग्राहकों की व्यापक संख्या को ऑर्गेनिक, प्राकृतिक और ट्राइफूड वन धन उत्पादों को उपलब्ध करा सकता है। जनजातीय समुदाय द्वारा हाथ से बनाए गए प्रमाणिक वन उत्पादों को शामिल करके बिग बास्केट को अपने पोर्टफोलियो को और अधिक समृद्ध करने में भी मदद मिलेगी। यह सहयोग जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा देने और जनजातीय समुदाय के लिए आजीविका के अवसर पैदा करके बिग बास्केट के सामाजिक कल्याण की दिशा में किए जाने वाले कार्यों में भी बढ़ोतरी करेगा।
उन्होने कहा कि जनजातीय लोगों में छिपी हुई प्रतिभा और उत्कृष्ट उत्पाद बनाने की एक बड़ी क्षमता है और वे “मेरा वन- मेरा धन- मेरा उद्यम”में विश्वास करते हैं। एक राष्ट्र के रूप में यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि उनके कौशल, कला और शिल्प भावी पीढ़ी के लिए नष्ट न हों, इसलिए देश भर में जनजातीय लोगों के लाभ के लिए ये कार्यक्रम आज शुरू किए गए हैं।
जैसे-जैसे भारत India@75 की अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है और विकास को एक जन आंदोलन में बदलने का काम कर रहा है, ट्राइफेड जमीनी स्तर पर अपनी उपस्थिति का भरपूर लाभ उठाकर काम करते हुए डिजाइन और कार्यान्वयन दोनों में जनजातीय कल्याण पर जोर दे रहा है। “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ-साथ, ट्राइफेड जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में अपने प्रयासों को फिर से समर्पित करते हुए कई महत्वपूर्ण गतिविधियाँ संचालित कर रहा है।
सीपों को उगाना और मोतियों का विकास एक स्थायी व्यवसाय है और उन जनजातीय संग्रहकर्ताओं द्वारा आसानी से अपनाया जा सकता है जिनकी आस-पास के जल निकायों अर्थात तालाबों तक आसानी से पहुंच है। ट्राइफेड ने मत्स्य पालन में संलग्न वन धन विकास केंद्र समूहों को चिन्हित कर आगे चलकर उन्हें सीप उगाने के लिए विकसित करने में उनकी सहायता करने की योजना बनाई है।
इन सहयोगों के सफल कार्यान्वयन के साथ, ट्राइफेड जनजातीय लोगों को अपने कौशल को विकसित करने और आय तथा आजीविका के अवसर पैदा करने में सशक्त बनाने की उम्मीद करता है। ऐसी गतिविधियों और अन्य विविध गतिविधियों के माध्यम से, ट्राइफेड देश भर में जनजातीय जीवन और आजीविका के पूर्ण परिवर्तन की दिशा में काम कर रहा है।